नवार्ण मंत्र साधना | माँ दुर्गा का शक्तिशाली मंत्र | Navarna mantra | Durga mantra |


नवार्ण मंत्र साधना 

जिस तरह से हर एक देवी देवता का मूल मंत्र है वैसे ही माँ दुर्गा का सबसे शक्तिशाली और माँ दुर्ग की शीघ्र पूर्ण कृपा देने वाला जो मंत्र है वो है "नवार्ण मंत्र" | लेकिन इस साधना में जो सब विधि विधान है वो विधि विधान सहित ही इस मंत्र का जाप करना चाहिये अन्यथा उसका फल नहीं मिलता या विलम्ब से मिलता है | 

माँ दुर्गा का शक्तिशाली मंत्र | Navarna mantra | Durga mantra |
नवार्णमन्त्र 

यह मंत्र परम गोपनीय और रहस्यमयी है | 
नवार्ण मंत्र के लाभ 
इस मंत्रसाधना से माँ दुर्गा की पूर्णकृपा प्राप्त होती है | और यह एक मात्र ऐसा मंत्र है जिन्हके मन्त्र जाप से माँ दुर्गा के जितने भी स्वरुप है उन सभी स्वरुप का आशीर्वाद प्राप्त होता है | सभी बाधा बांधो से मुक्ति देता है यह मंत्र | सभी कष्टों का निवारण करता है यह मंत्र | धर्म-अर्थ-कर्म-मोक्ष चतुर्विध पुरुषार्थो को देने वाला उत्तम मन्त्र है यह नवार्णमन्त्र | सभी प्रकार के ऋणों में से मुक्ति देता है यह मंत्र, सभी विलम्बित कार्यो में सफलता देता है यह मंत्र | सभी नकारात्मक शक्तियों को नष्ट कर देता है | 

इस मंत्र को नवार्णमन्त्र क्यों कहते है ?
जिस तरह शिव के मूल मंत्र को पंचाक्षरी मंत्र कहते है | इसी तरह से इस मंत्र को नवार्ण मंत्र कहते है | 
बहुत ही काम लोगो को यह ज्ञात है की इसे नवार्ण क्यों कहते है ?
"ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे"
सभी मंत्रो के आगे ॐ एक दोष मुक्ति के लिये लगाया जाता है | 
किन्तु नवार्ण यानी"नव" "अर्ण" यानी अक्षर या शब्द अर्थात नवशब्दो से बाना है वो नवार्णमन्त्र | 
इस मंत्र के हर एक शब्द को गिने तो नव होते है | इसलिए इसे नवार्णमन्त्र कहते है |  

इस मंत्र की साधना कैसे करनी है ?
इस मंत्र की साधना में क्रमशः विनियोग-न्यास-ध्यान और उसके बाद मूल मंत्र का आरम्भ करना है | 

कितने मंत्र का अनुष्ठान करना चाहिए ?
इस मंत्र का मूल अनुष्ठान 5 लाख मंत्रो का है | अगर आप चाहो तो इसका प्रथम अनुष्ठान 12 हजार मंत्रो का कर सकते है | 
यानी 120 माला का | या फिर प्रतिदिन 9 माला भी कर सभी कार्य सफल बना सकते है | 

विनियोगः ( अपने दाहे हाथ में जल पकड़कर इस विनियोग को पढ़ने के बाद उस जल को किसी पात्र में छोड़े या सिर्फ विनियोग भी पढ़ सकते हो | 
ॐ अस्य श्रीनवार्णमन्त्रस्य ब्रह्मविष्णुरुद्राऋषयः गायत्र्युष्णिगनुष्टुप्छन्दांसि, श्रीमहाकाली महालक्ष्मी महासरस्वत्यो देवताः, ऐं बीजं, ह्रीं शक्तिः, क्लीं कीलकं, श्री महाकाली महालक्ष्मी महासरस्वती प्रीत्यर्थे जपे विनियोगः | 

न्यास ( इन न्यास मंत्रो को पढ़कर न्यास करे )

ऋष्यादिन्यास 
ब्रह्मा विष्णु रूद्र ऋषिभ्यो नमः शिरसि | 
बोलकर अपने सिर को दाए हाथ से स्पर्श करे | 
गायत्र्युष्णिगनुष्टुप छन्देभ्यो नमः मुखे | 
बोलकर मुख को स्पर्श करे | 
श्री महाकाली महालक्ष्मी महासरस्वती देवताभ्यो नमः हृदि | 
बोलकर ह्रदय को स्पर्श करे | 
ऐं बीजाय नमः गुह्ये | 
बोलकर अपने गुप्त भाग को स्पर्श कर अपना हाथ पानी से धोये | 
ह्रीं शक्तये नमः पादयोः | बोलकर अपने दोनों पैरो को स्पर्श करे | 
क्लीं कीलकाय नमः नाभौ | बोलकर अपनी नाभि को स्पर्श करे | 

करन्यास 
ॐ ऐं अंगुष्ठाभ्यां नमः | ॐ ह्रीं तर्जनीभ्यां नमः | ॐ क्लीं मध्यमाभ्यां नमः | 
ॐ चामुण्डायै अनामिकाभ्यां नमः | ॐ विच्चे कनिष्ठिकाभ्यां नमः | 

हृदयादिन्यास 
ॐ ऐं हृदयाय नमः | ॐ ह्रीं शिरसे स्वाहा | ॐ क्लीं शिखायै वौषट | 
ॐ चामुण्डायै कवचाय हुम् | ॐ विच्चे नेत्रत्रयाय वौषट | 

अक्षरन्यास 
ॐ ऐं नमः शिखायां | ॐ ह्रीं नमः दक्षिण नेत्रे | ॐ कलीम नमः वामनेत्रे | ॐ चां नमः दक्षिणकर्णे | 
ॐ मुं नमः वामकर्णे | ॐ डां नमः दक्षिणनासा पुटे | ॐ विं नमः मुखे | ॐ चें नमः | गुह्ये | 

दिंगन्यास ( सभी दिशा में नमस्कार करे ) 
ॐ ऐं प्राच्यै नमः | ॐ ऐं आग्नेयै नमः | ॐ ह्रीं दक्षिणायै नमः | ॐ ह्रीं नैऋत्यै नमः | ॐ क्लीं प्रतीच्यै नमः | 
ॐ क्लीं वायव्यै नमः | ॐ चामुण्डायै उदीच्यै नमः | ॐ चामुण्डायै ऐशान्यै नमः | ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै उर्ध्वायै नमः | 
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै भूम्यै नमः | 

श्री महाकाली महालक्ष्मी महासरस्वती का ध्यान धरे | 
श्री महाकाली ध्यान 
ॐ खड्गं चक्रगदेषु चाप परिघान शूलं भुशुण्डीं शिरः 
शङखं संदधतीं करैस्त्रीनयनां सर्वाङ्गभुषावृतां | 
नीलाश्मद्युतिमास्यपाददशकां सेवे महाकालीकां 
यामस्तौत्स्त्वपिते हरौ कमलजो हन्तुं मधुं कैटभं || 

श्री महालक्ष्मी ध्यान 
ॐ अक्षस्रक्परशुं गदेशुकुलीशं पद्मं धनुष्कुण्डिकां 
दण्डं शक्तिमसिं च चर्म जलजं घण्टां सुरभाजनं | 
शूलं पाशसुदर्शने च दधतीं हस्तैः प्रसन्नाननां 
सेवे सैरिभमर्दिनिमिह महालक्ष्मीं सरोजस्थितां || 

श्री महासरस्वती ध्यान 
ॐ घण्टाशूलहलानि शंखमुसले चक्रं धनुः सायकं 
हस्ताब्जैर्ददधतीं घनान्तविलसछीतांशुतुल्यप्रभां | 
गौरिदेहसमुदभ्वां त्रिजगतांमाधारभूतां महा-
पूर्वामत्र सरस्वतीमनुभजे शुम्भादिदैत्यार्दिनिम || 

माँ दुर्गा का ध्यान  
ॐ विद्युदामसमप्रभां मृगपतिस्कंधस्थितां भीषणां 
कन्याभिः करवालखेटविलसद्धस्ताभिरासेवितां | 
हस्तैश्चक्रगदासिखेटविशिखांश्चापं गुणं तर्जनीं 
बिभ्राणांमनलात्मिकां शशिधरां दुर्गां त्रिनेत्रां भजे || 

यह सभी ध्यान करने के बाद माँ दुर्गा के मूल मंत्र नवार्णमंत्र का जाप करे  | 
मंत्र : ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे 
बहुत ही सुन्दर तरीके से और स्पष्ट उच्चारण करे | शांतचित्त से करे | 
माँ दुर्गा की पूर्ण कृपा प्राप्त होगी | 

|| इति नवार्ण मंत्र: || 

     || अस्तु || 
|| जय श्री कृष्ण || 










karmkandbyanandpathak

नमस्ते मेरा नाम आनंद कुमार हर्षद भाई पाठक है । मैंने संस्कृत पाठशाला में अभ्यास कर (B.A-M.A) शास्त्री - आचार्य की पदवी प्राप्त की हुईं है । ।। मेरा परिचय ।। आनंद पाठक (आचार्य) ( साहित्याचार्य ) ब्रह्मरत्न अवार्ड विजेता (2015) B.a-M.a ( शास्त्री - आचार्य ) कर्मकांड भूषण - कर्मकांड विशारद ज्योतिष भूषण - ज्योतिष विशारद

1 Comments

  1. महाराज जी नवार्ण मंत्र साधना बोलकर करना है या फिर मन में।

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