माला संस्कार विधी | माला को प्रतिष्ठित कैसे करे ? माला प्रतिष्ठा विधी | Mala sanskar vidhi | Mala ka sanskar kaise kare ?


माला संस्कार विधी

माला का संस्कार कैसे करे ?

शास्त्रों के विधानों के अनुसार किसी भी मंत्र जाप की सिद्धि के लिए संस्कारित माला होना बहुत ही आवश्यक है,कभी भी दूकान से सीधा खरीदकर माला का मंत्र जाप के लिए उपयोग नहीं करना चाहिए बिना माला को सिद्ध किये मंत्रजाप कभी सफल नहीं होते | हमारे शास्त्रों में लिखा है,
अप्रतिष्ठित माला भिर्मन्त्र जपति यो नरः |
सर्वे तद्विफलं विद्यात क्रुद्धा भवति देवताः ||

माला संस्कार के लिए जरुरी सामग्री |

माला ( जो भी आपको सिद्ध करनी है वो-रुद्राक्ष,रक्तचंदन,तुलसी,इत्यादि )-कांसे की या ताम्बे की थाली(पात्र)
पीपल के पेड़ के नौ पत्ते-पंचगव्य(दूध-दही-गोबर-गौमूत्र-घी)-गंगाजल-थोड़े चावल-धुप-दीप

माला को कैसे संस्कारित करे ?

माला संस्कार विधि |

अश्वत्थपत्रनवकैः पद्माकारम तु कल्पयेत |
तन्मध्ये स्थापयेन्माला मातृकां मूल मुध्यारन |
क्षालयेत पंचगव्येन सद्योजातेन सज्जलैः ||

कांस्य या ताम्रपात्र में पीपल के नौ पत्ते लेकर उनका अष्टदल बनाये (आठ पत्तोसे कमल बनाये और एक पत्ता बीच में रखे)
बीच के पत्ते पर माला रख दे | फिर माला के मेरु को पकडे (जहा से माला शुरू होती है वो भाग) और निम्न मातृकाओं का उच्चारण करे और उसी समय माला को पंचगव्य से स्नान कराये 
ॐ अं आं इं ईं उं ऊं त्रृं ऋं लृं ऌं एं ऐं ओं औं अं अः कं खं गं घं ङं चं छं जं झं ञं टं ठं डं ढं णं तं थं दं धं नं पं फं बं भं मं यं रं लं वं शं षं सं हं क्षं |

इस मंत्र को बोलकर माला को धोये |

ॐ सद्योजातं प्रपद्यामि सद्योजाताय वै नमो नमः |
भवे भवे नाति भवे भवस्व मां भवोद्भवाय नमः ||
इसके बाद गंगाजल से माला को स्वच्छ करले (धोले) |


पश्चात माला को कुमकुम या चन्दन से तिलक करे - थोड़े अक्षत चढ़ाये-फिर निम्न मंत्र बोले |

ॐ वामदेवाय नमः | ज्येष्ठाय नमः | श्रेष्ठाय नमो | रुद्राय नमः | कलविकरणाय नमो | बलविकरणाय नमः | बलाय नमो बल प्रमथनाय नमः | सर्वभूत दमनाय नमो मनोन्मनाय नमः ||
माला के आगे दीप प्रज्वलित करे और धूप अर्पण करे |

पश्चात माला को प्रार्थना करे |

ॐ ऐं अक्षमालिकायै नमः |
ॐ मां माले महामाये सर्वशक्तिस्वरूपिणीम |
चतुर्वर्गस्त्वयी न्यस्तः तस्मान्मे सिद्धिदा भव ||
ॐ अक्षमालाधिपतये सुसिद्धिं देहि देहि सर्वमन्त्रार्थ साधिनी साधय साधय सर्वसिद्धिं परिकल्पय परिकल्पय में स्वाहा |
ॐ अविघ्नं कुरु माले त्वं गृह्णामि दक्षिणे करे |
जपकाले च सिध्यर्थं प्रसीद मम सिद्धये ||

इस तरह से शास्त्रोक्त विधान से माला को संस्कारित करे फिर सबसे पहले अपने गुरु या इष्टदेवता के मंत्र की प्रथम माला करे उसके बाद माला का मंत्र जाप के लिए प्रयोग करे ||

|| जय श्री कृष्णा ||
karmkandbyanandpathak

नमस्ते मेरा नाम आनंद कुमार हर्षद भाई पाठक है । मैंने संस्कृत पाठशाला में अभ्यास कर (B.A-M.A) शास्त्री - आचार्य की पदवी प्राप्त की हुईं है । ।। मेरा परिचय ।। आनंद पाठक (आचार्य) ( साहित्याचार्य ) ब्रह्मरत्न अवार्ड विजेता (2015) B.a-M.a ( शास्त्री - आचार्य ) कर्मकांड भूषण - कर्मकांड विशारद ज्योतिष भूषण - ज्योतिष विशारद

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