मंगलवार व्रत कथा | मंगलदायक मंगल कथा | Mangalvar vrat katha |


मंगलवार व्रत कथा 


यह व्रत क्यों करना चाहिए ?
मंगलदायक यह मंगलवार का व्रत उत्तम है जो मंगल का प्रभाव दूर करता है | मगलदोष का क्षय करता है | विवाह के द्वार खोलता है | आर्थिक समस्याओ का निकरण करता है | ऋणमुक्ति में सहाय करता है | आत्मविश्वाश में बढ़ोतरी करता है | 
मंगलदायक मंगल कथा | Mangalvar vrat katha |
मंगलवार व्रतकथा 

यह व्रत कब करे ? 
किसी भी मंगलवार को इस व्रत का आरम्भ कर सकते है | 
२१ या ५४ मंगलवार करे सम्पूर्ण मनोकामना सिद्ध होगी | 
व्रत के दौरान "ॐ भौमाय " नमः की यथाशक्ति माला करे | 
हनुमानचालीसा के पाठ करे | सरसौ के तेल का या तिल के तेल का दिया करे | 
मंगलवार को अगर हो सके तो लालगाय को गेहू और गुड़ खिलाये या जो भी गाय मिले उसे चारा डाले | 
प्रथम और अंतिम मंगलवार को मसूर किडाळ और लाल कपडे के साथ १०१ रूपये का दान करे | 
व्रत के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करे | 
जिस महिलाओ को संतान प्राप्ति में दिक्कते आ रही हो या गर्भपात हो जाता है उनके लिये यह रामबाण उपाय है | 

मंगलवार व्रतकथा 
एक समय एक ब्रह्मदेव(ब्राह्मण) वन में हनुमानजी की पूजा के लिए गए | वहा उन्होंने पूजा के साथ महावीर जी से एक पुत्र की कामना की | 
घर पर उसकी स्त्री भी पुत्र प्राप्ति के लिये मंगलवार का व्रत करती थी | वह मंगलवार के दिन व्रत के अंत में हनुमनजी को भोग लगाकर ही भोजन करती थी | 
एक बार व्रत के दिन ब्राह्मणी ना भोजन बना पाई और ना ही हनुमानजी को भोग लगा सकी | 
उसने प्राण लिया की वो अगले मंगलवार को हनुमनजी को भोग लगाकर ही भोजन करेगी | ऐसा वचन लेकर वो छह दिन तक भूखी प्यासी पड़ी रही | 
मंगलवार के दिन वो बेहोश हो गई | हनुमाजी उसकी यह भक्ति और निष्ठा देखकर प्रसन्न हुए | 
उन्होंने ब्राह्मणी को आशीर्वाद रूप एक पुत्र दिया और कहा की यह तुम्हारी बहुत ही सेवा करेगा | बालक को पाकर ब्राह्मणी अति प्रसन्न हुई | 
उसने बालक का नाम मङ्गल रखा | कुछ समय के बाद ब्राह्मण घर आये तो बालक को देखकर पूछा की यह बालक कौन है ? 
पत्नी बोली की मंगलवार व्रत से प्रसन्न होकर हनुमानजी ने यह बालक दिया है | ब्राह्मण को अपनी पत्नी की बात पर विश्वास नहीं हुआ | 

एक दिन मौका देखकर ब्राह्मण ने बालक को कुए में गिरा दिया | घर लौटने पर ब्राह्मणी ने पूछा की मंगल कहा है ? 
तभी पीछे से मङ्गल मुस्कुरा कर आ गया | 
उसे वापिस देखकर ब्राह्मण को आश्चर्य हुआ | रात्रि को हनुमानजी ने उसे स्वप्न में आकर दर्शन दिये और कहा यह पुत्र उन्होंने ही उसे दिया है |
 ब्राह्मण सत्य जानकार बहुत खुश हुआ | इसके बाद उस ब्राह्मण-ब्राह्मणी दंपत्ति ने मंगलवार का व्रत आरम्भ कर दिया | 

इसी प्रकार से जो भी मंगलवार का व्रत विधि विधान पूर्वक करता है उसका सबकुछ मंगल होता है |
या कथा सुने और पढ़ने वालो को भी पुण्य की प्राप्ति होती है ||

|| यह मंगलवार व्रतकथा यहाँ पूर्ण हुई || 
|| अस्तु || 
|| जय श्री कृष्ण || 
karmkandbyanandpathak

नमस्ते मेरा नाम आनंद कुमार हर्षद भाई पाठक है । मैंने संस्कृत पाठशाला में अभ्यास कर (B.A-M.A) शास्त्री - आचार्य की पदवी प्राप्त की हुईं है । ।। मेरा परिचय ।। आनंद पाठक (आचार्य) ( साहित्याचार्य ) ब्रह्मरत्न अवार्ड विजेता (2015) B.a-M.a ( शास्त्री - आचार्य ) कर्मकांड भूषण - कर्मकांड विशारद ज्योतिष भूषण - ज्योतिष विशारद

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