दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र | Daridrya Dahan Stotra |


दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र 

दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र | Daridrya Dahan Stotra |
दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र 


दारिद्र्य अर्थात अलक्ष्मी-अस्वस्थता-निराशा-कोई काम सफल ना होना अथक प्रयत्नों के बाद भी लक्ष्मी प्राप्ति में रूकावट आना-व्यापर में वृद्धि ना होना भाग्योदय ना होना-जीवन में प्रगति ना होना -
दहन अर्थात जला देना-भस्मीभूत कर देना 
दारिद्र्य दहन - यानी मनुष्यकी दरिद्रता को जलादे - भस्मी बहुत कर दे ऐसा स्तोत्र | 
यह स्तोत्र वसिष्ठ मुने कृत है जिसके त्रिकाल पाठ करने से दारिद्रता का विनाश हो जाता है | 

|| दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र ||
ॐ विश्वेश्वराय नरकार्णव तारणाय कर्णामृताय शशिशेखरधारणाय | 
कर्पूरकान्तिधवलाय जटाधराय दारिद्र्य दुःखदहनाय नमः शिवाय || १ || 

गौरीप्रियाय रजनीशकलाधराय कालान्तकाय भुजगाधिपककङ्कणाय | 
गङ्गाधराय गजराजविमर्दनाय दारिद्र्य दुःखदहनाय नमः शिवाय || २ || 

भक्तिप्रियाय भवरोगभयापहाय उग्राय दुर्गभवसागरतारणाय | 
ज्योतिर्मयाय गुणनामसुनृत्युकाय दारिद्र्य दुःखदहनाय नमः शिवाय || ३ || 

चर्मम्बराय शवभस्मविलेपनाय भालेक्षणाय मणिकुण्डलमण्डिताय | 
मंझीरपादयुगलाय जटाधराय दारिद्रय दुःखदहनाय नमः शिवाय || ४ || 

पञ्चाननाय फणिराजविभूषणाय हेमांशुकाय भुवनत्रयमण्डिताय | 
आनन्दभूमिवरदाय तमोमयाय दारिद्र्य दुःखदहनाय नमः शिवाय || ५ || 

भानुप्रियाय भवसागर तारणाय कालान्तकाय कमलासनपूजिताय | 
नेत्रत्रयाय शुभलक्षण लक्षिताय दारिद्र्य दुःखदहनाय नमः शिवाय || ६ || 

रामप्रियाय रघुनाथवरप्रदाय नागप्रियाय नरकार्णवतारणाय | 
पुण्येषु पुण्यभरिताय सुरार्चिताय दारिद्रय दुःखदहनाय नमः शिवाय || ७ || 

मुक्तेश्वराय फलदाय गणेश्वराय गीतप्रियाय वृषभेश्वरवाहनाय | 
मातङ्गचर्मवसनाय महेश्वराय दारिद्र्य दुःखदहनाय नमः शिवाय || ८ || 

वसिष्ठेन कृतं स्तोत्रं सर्वरोगनिवारणं | 
सर्वसंपत्करं शीघ्रं पुत्रपौत्रादिवर्धनं | 
त्रिसन्ध्यं यः पठेन्नित्यं स हि स्वर्गमवाप्नुयात || ९ || 

विशेष प्रयोग 
प्रतिदिन प्रातः काल-मध्याह्न काल-सायंकाल एक एक पथ करना | 
प्रतिदिन किसी भी एक काल में गंगाजल-दूध से अभिषेक करना | 
या निरंतर तीन महीने तक गन्ने के रस से शिवलिंग के ऊपर इस स्तोत्र के १६ पाठ कर के अभिषेक करना | 
उत्तम फल प्राप्त होगा - रोगो का विनाश हो जाएगा - दरिद्रता का विनाश हो जाएगा -
भगवान् भोलेनाथ की पूर्ण कृपा प्राप्त होगी | 

|| अस्तु || 


karmkandbyanandpathak

नमस्ते मेरा नाम आनंद कुमार हर्षद भाई पाठक है । मैंने संस्कृत पाठशाला में अभ्यास कर (B.A-M.A) शास्त्री - आचार्य की पदवी प्राप्त की हुईं है । ।। मेरा परिचय ।। आनंद पाठक (आचार्य) ( साहित्याचार्य ) ब्रह्मरत्न अवार्ड विजेता (2015) B.a-M.a ( शास्त्री - आचार्य ) कर्मकांड भूषण - कर्मकांड विशारद ज्योतिष भूषण - ज्योतिष विशारद

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