रक्षाबंधन माहात्म्य | राखी बाँधने का श्लोक | Rakshabandhan Mahatmya |


रक्षाबंधन माहात्म्य - राखी बाँधने का श्लोक

रक्षाबंधन माहात्म्य | राखी बाँधने का श्लोक | Rakshabandhan Mahatmya |
रक्षाबंधन माहात्म्य

रक्षा बंधन जो भाई बहन के रिश्ते का एक पवित्र त्यौहार है | इस दिन बहन अपने भाई को राखी बांधती है, बहन भाई को टिका लगाती है, भाई  हाथ पर राखी बांधती है, भाई की आरती उतारकर भाई की लम्बी आयु की कामना करती है. लेकिन क्या आपको इसके पीछे का शास्त्रोक्त रहस्य मालूम है ? इसके पीछे की कथा मालुम है ? क्या रक्षाबंधन सिर्फ बहन-भाई का त्यौहार है ? क्या रक्षाबंधन में सिर्फ बहन ही भाई को राखी बांधती है ? रक्षाबंधन में ब्राह्मण क्यों सबको राखी बांधते है ? 
लेकिन क्या आपको पता है इसके पीछे का शास्त्रोक्त रहस्य या कथा ?
आज हम इसी विषय पर बात करेंगे |

|| रक्षाबंधन की कथा ||
बलिराजा ने जब 100 यज्ञ पूर्ण कर स्वर्ग को छीनने की कोशिश की तब इन्द्रादि देवताओ ने भगवान् नारायण की स्तुति की और भगवान् को प्रसन्न किया | और सब वृत्तांत सुनाया | तब भगवान् ने वामन स्वरुप धारण कर ब्राह्मण वेश धारण कर लिया | पश्चात् भिक्षा मांगने बलिराजा के वहा पहुंच गए | और गुरु के मना करने पर भी बलिराजाने तीन पग भूमि का दान कर दिया | भगवान् ने तीन पग भूमि में पूरी दुनिया को नाप लिया और चौथी बार भगवान् ने बलिराजा के सर पर पैर स्पर्श कर उन्हें रसातल में भेज दिया |  इस तरह से बलिराजा के अहंकार का विनाश किया | और तभी से रक्षाबंधन को बलेव भी कहते है | किन्तु जब बलिराजा रसातल में गया तब अपनी भक्ति के बालप्रभाव से उसने भगवान् से वचन लिया की आप रात-दिन मेरे सामने रहोगे | इसी वचन के कारण भगवान् विष्णु देवशयनी एकादशी से लेकर देवउठी एकादशी तक रसातल में ( पाताल ) में बलिराजा के पास रहते है | जिन्हे हम चातुर्मास भी कहते है |

कई दिनों तक भगवान् के वैकुण्ठ न लौटने पर लक्ष्मीजी परेशान हो गई,तब नारदजी ने उन्हें सब वृतांत सुनाया और एक उपाय भी बताया की आप नलिराजा को रक्षासूत्र बांधकर उन्हें भाई बनाकर उनसे वचन प्राप्त कर लो और नारायण को मुक्त करावो | तब माँ लक्ष्मीजी ने बलिराजा को रक्षासूत्र बाँधा | जिन्हे राखी भी कहते है | बाद में अपने पति ( नारायण ) को मुक्त कर वापिस वैकुण्ठ ले आये उस दिन श्रावण मॉस की पूर्णिमा थी इसलिये उन्हें श्रावणी पूर्णिमा भी कहते है |
लेकिन इसी के साथ एक परम्परा यह भी है की इसी दिन ब्राह्मण के द्वारा भी अपने शिष्यों या यजमान को रक्षासूत्र ( राखी ) बाँधी जाती है जो अपने यजमान की रक्षा की प्रार्थना करते है | और इतनाही नहीं इसी कारण से जब भी घर में या कही पर भी जब कोई पूजा-पाठ-यज्ञ करवाते है तब विद्वान ब्राह्मण के द्वारा अपने यजमान को रक्षासूत्र बाँधा जाता है जिन्हे हम कलावा कहते है |
बहन-भाई जब राखी बांधे तब या ब्राह्मण यजमान को रक्षासूत्र बांधे तब यह श्लोक बोलना चाहिए |
ॐ येन बद्धो बलिराजा दानविन्द्रो महाबल |
तेनत्वं मपि बध्नामि रक्षे माचल माचल ||

और इसी श्लोक की शक्ति से बहन भाई की रक्षा की प्रार्थना करती है और
ब्राह्मण अपने यजमान की रक्षा की प्रार्थना करते है ||

राखी बाँधने की विधि
सबसे पहले बहन भाई को टिका लगाए |
टिके के ऊपर अक्षत लगाए |
पश्चात राखी बांधे और उपरोक्त श्लोक बोले |
पश्चात भाई की आरती उतारे |
( तीन बार या पांच बार आरती की थाली घुमाये )
और भाई का मुँह मीठा कराये |
भाई बहन का मुँह मीठा कराये |
भाई अपनी बहन की और यजमान ब्राह्मण को अपनी शक्ति अनुसार कुछ भेट प्रदान करे |

|| रक्षाबंधन कथा समाप्तः ||
karmkandbyanandpathak

नमस्ते मेरा नाम आनंद कुमार हर्षद भाई पाठक है । मैंने संस्कृत पाठशाला में अभ्यास कर (B.A-M.A) शास्त्री - आचार्य की पदवी प्राप्त की हुईं है । ।। मेरा परिचय ।। आनंद पाठक (आचार्य) ( साहित्याचार्य ) ब्रह्मरत्न अवार्ड विजेता (2015) B.a-M.a ( शास्त्री - आचार्य ) कर्मकांड भूषण - कर्मकांड विशारद ज्योतिष भूषण - ज्योतिष विशारद

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