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गरुड़स्तवः | Garuda Stava |


गरुड़स्तवः

गरुड़स्तवः | Garuda Stava |
गरुड़स्तवः



निम्नलिखित मन्त्र जपने से भक्षित स्थावर विष अमृत के समान हो जाता है | 
अन्य विषाक्त अन्नपानादि भी इसके जप से अमृततुल्य हो जाते हैं 

ॐ नमो भगवते गरुड़ाय, महेन्द्ररूपाय पर्वतशिखराकाररुपाय, संहर संहर मोचय मोचय चालय चालय पातय पातय निर्विष विषमप्यमृतं चाहारसदृशं रुपमिदं  प्रज्ञापयामि स्वाहा नमः | नल नल वर वर दुन दुन क्षिप क्षिप हर हर स्वाहा | 
इसके बाद गरुड़स्तोत्र का पाठ करे | 

गरुड़स्तवः 
सुपर्ण  वैनतेयंच नागारिं नागभीषणम् | 
जितान्तकं विषारिंच  अजितं विश्वरुपिणम् || 

गरुत्मन्तं खगश्रेष्ठं तार्क्ष्य कश्यपनन्दनम् | 
द्वादशैतानि नामानि गरुडस्य महात्मनः | 

यः पठेत्प्रातरुत्थाय स्नाने वा शयनेऽपि  वा | 
विषं नाक्रामते तस्य न च हिंसन्ति हिंसकाः || 

संग्रामे व्यवहारे च विजयस्तस्य जायते | 
बन्धनान्मुक्ति माप्नोति यात्रायां सिद्धिरेव च || 
इति गरुड़स्तोत्रम् 


गरुड़ जी के 12 नाम 
ॐ गरुडाय नमः 
१. सुपर्ण, 
२. वैनतेय,
 ३. नागारि,
 ४. नागभीषण,
 ५. जितान्तक, 
६. विषारि,
 ७. अजेय, 
८. विश्वरुपी, 
९. गरुत्मान्, 
१०. खगश्रेष्ठ,
 ११. तार्क्ष्य 
 १२. कश्यपनन्दन 

|| गरुड़ भगवान् की जय || 
इन बारह नामों का जो प्रातःकाल उठ कर पाठ करता है, 
उस पर किसी विष का कुप्रभाव नहीं पड़ता | 
किसी प्रकार का हिंसक जन्तु उसे काटने में समर्थ नहीं होता | 
संग्राम और व्यवहार में उसे विजय प्राप्त होती है | 
इस स्तोत्र के पाठ से बन्धन छूट जाता है, यात्रा में कार्यसिद्धि होती है | 

|| अस्तु || 



गरुड़स्तवः | Garuda Stava | गरुड़स्तवः | Garuda Stava | Reviewed by karmkandbyanandpathak on 11:40 AM Rating: 5

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