विष्णु स्तुति | Vishnu Stuti |


 विष्णु स्तुति

 विष्णु स्तुति


एक ऐसा स्तोत्र जो विष्णु ने कृष्ण के लिया किया था 

पुरुषोत्तम मास में 

जब भगवान् ने भगवान् की स्तुति की 

तब भगवान् ने भगवान् को जो वरदान दिया 

सुबह सुबह उठकर सिर्फ एक बार बोले यह 

भगवान् कृष्ण ने वरदान दिया है 

सभी पापो का विनाश कर देगा 

बुरे स्वप्नों का नाश हो जाएगा 

मान सन्मान की प्राप्ति होगी 


|| श्री विष्णुरुवाच || 

वन्दे विष्णुं गुणातीतं गोविन्दमेकअक्षरं | 

अव्यक्तमव्ययं व्यक्तं  गोपवेशविधायिनं || 

किशोरवयशं शान्तं गोपीकांतं मनोहरं | 

नवीननीरदश्यामं कोटिकन्दर्पसुन्दरं || 

वृन्दावनवनाभ्यन्ते रासमण्डलसंस्थितं | 

लसत्पीतपटं सौम्यं त्रिमंगळलिताकृतिं || 

 रासेस्वरं रासवासं रासाल्लाससमुत्सुकं | 

द्विभुजं मुरलोहस्तं पीतवाससमच्युतं || 


इत्येवमुक्त्वा तं नत्वा रत्नसिंहासने वरे | 

पार्षदैः सत्कृतो विष्णुः स उवास तदाज्ञया || 

श्री नारायण उवाच 

इति विष्णुकृतं स्तोत्रं प्रातरूत्थाय यः पठेत | 

पापानि तस्य नश्यन्ति दुःस्वप्नः सत्फलप्रदः || 

भक्तिर्भवति गोविन्दे पुत्रपौत्रविवर्द्धिनी | 

अकीर्तिः क्षयमाप्नोति सत्कीर्तिर्वर्द्धते चिरं ||

|| अस्तु || 

karmkandbyanandpathak

नमस्ते मेरा नाम आनंद कुमार हर्षद भाई पाठक है । मैंने संस्कृत पाठशाला में अभ्यास कर (B.A-M.A) शास्त्री - आचार्य की पदवी प्राप्त की हुईं है । ।। मेरा परिचय ।। आनंद पाठक (आचार्य) ( साहित्याचार्य ) ब्रह्मरत्न अवार्ड विजेता (2015) B.a-M.a ( शास्त्री - आचार्य ) कर्मकांड भूषण - कर्मकांड विशारद ज्योतिष भूषण - ज्योतिष विशारद

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