उपाङ्गललिता व्रत | ललिता व्रत | lalita vrat kaise kare ?

 

उपाङ्गललिता व्रत | ललिता व्रत |

ललिता व्रत 


माँ भगवती दुर्गा को माँ ललिता को प्रसन्न 
करने का इससे उत्तम व्रत और कोई नहीं है | 
नवरात्री में अवश्य करे यह व्रत | 
आश्विन शुक्ल पञ्चमी अर्थात पांचवा नवरात्र जो है उससे ही
 उपांगललिता का व्रत कहते है | 
इस दिन निराहार-फलाहार या एक समय फलाहार 
एक समय भोजन कर यह व्रत कर सकते है | 

इस दिन माँ ललिता देवी की सोलह उपचार पूजन करे | 
या सर्वोत्तम श्रीयंत्र के ऊपर सहस्त्रार्चन करे | 
माँ ललिता के एक एक नाम बोलकर पुष्प की पंखुडिया अर्पण करे | 
अगर यह ना भी कर सकते है तो कम से कम 
एक पाठ ललिता सहस्त्र का अवश्य करे | 

किन्तु समय के विषय में कई मत मतान्तर है 
कई जगह प्रमाण है की यह व्रत या पूजा रात्रिकाल में ही करनी चाहिए | 
तो अवश्य यह विधान आप रात्रिकाल में भी कर सकते हो | 

इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करे | 
भूमिशयन करे | 
माँ भगवती ललिता की आराधना करे | 
हो सके तो माँ ललिता के समीप या 
श्रीयंत्र की दायी और घी का दीपक प्रज्वलित रखे | 

|| अस्तु || 


karmkandbyanandpathak

नमस्ते मेरा नाम आनंद कुमार हर्षद भाई पाठक है । मैंने संस्कृत पाठशाला में अभ्यास कर (B.A-M.A) शास्त्री - आचार्य की पदवी प्राप्त की हुईं है । ।। मेरा परिचय ।। आनंद पाठक (आचार्य) ( साहित्याचार्य ) ब्रह्मरत्न अवार्ड विजेता (2015) B.a-M.a ( शास्त्री - आचार्य ) कर्मकांड भूषण - कर्मकांड विशारद ज्योतिष भूषण - ज्योतिष विशारद

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