श्री सीता स्तुति | Shree Sita Stuti |

 

श्री सीता स्तुति

श्री सीता स्तुति

कबहुँक अंब, अवसर पाई |
मेरिओ सुधि द्याईबी, कछु करुन कथा चलाई || १ ||
हे माता, कभी अवसर हो तो कुछ करुणाकी बात छोड़कर श्री रामचन्द्रजीको मेरी भी याद दिला देना || १ ||

दीन, सब अँगहीन, छीन, मलीन, अघी अघाइ |
नाम लै भरै उदर एक प्रभु दासी दास कहाइ || २ ||
यों कहना कि एक अत्यन्त दीन, सर्व साधनोंसे हीन, मनमलीन, दुर्बल और पूरा पापी मनुष्य आपकी दासी का दास कहलाकर और
आपका नाम ले लेकर पेट भरता है || २ ||

बूझिहैं सो है कौन कहिबी नाम दसा जनाइ |
सुनत राम कृपालुके मेरी बिगरीऔ बनि जाइ || ३ ||
इसपर प्रभु कृपा करके पूछें कि वह कौन है,
तो मेरा नाम और मेरी दशा उन्हें बता देना |
कृपालु रामचन्द्रजीके इतना सुन लेनेसे ही मेरी सारी बिगड़ी बात बन जायगी || ३ ||

जानकी जगजननि जनकी किये बचन सहाइ |
तरै तुलसीदास भव तव नाथ गुन गन गाइ || ४ ||
हे जगज्जननी जानकीजी, यदि इस दासकी आपने इस प्रकार वचनोंसे ही सहायता कर दी तो यह तुलसीदास आपके स्वामीकी गुणावली गाकर
भव सागरसें तर जायेगा || ४ ||

|| अस्तु ||



karmkandbyanandpathak

नमस्ते मेरा नाम आनंद कुमार हर्षद भाई पाठक है । मैंने संस्कृत पाठशाला में अभ्यास कर (B.A-M.A) शास्त्री - आचार्य की पदवी प्राप्त की हुईं है । ।। मेरा परिचय ।। आनंद पाठक (आचार्य) ( साहित्याचार्य ) ब्रह्मरत्न अवार्ड विजेता (2015) B.a-M.a ( शास्त्री - आचार्य ) कर्मकांड भूषण - कर्मकांड विशारद ज्योतिष भूषण - ज्योतिष विशारद

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