विनायक शान्ति | Vinayak Shanti |

 

विनायक शान्ति

विनायक शान्ति



महाराज युधिष्ठिरने कहा -
देवेश, अब आप विनायक शान्तिकी विधि मुझे बतायें,
जिसके करनेसे सभी मानव समस्त आपत्तियोंसे मुक्त हो जाते हैं |

भगवान् श्रीकृष्ण बोले -
राजेन्द्र, विनायकके प्रिय श्रेष्ठ शान्तिका मैं वर्णन करता हूँ,
इसके आचरणसे सभी अरिष्ट नष्ट हो जाते हैं |
यह विनायक शान्ति सम्पूर्ण विघ्नोंको दूर करनेके लिये की जाती है |
स्वप्नमें जलमें अवगाहन करना, मुण्डित सिरों तथा गेरुआ वस्त्रको देखना, मस्तकरहित\शव, बिना किसी कारणके ही दुःखी होना,
कार्यमें असफल हो जाना इत्यादि विनायकद्वारा गृहीत हो जानेपर राजपुत्र राज्यको प्राप्त नहीं कर सकता, कुमारी पति नहीं प्राप्त कर सकती,
गर्भिणी पुत्रको और श्रोत्रिय आचार्यत्वको प्राप्त कर पाता |
विद्यार्थी पढ़ नहीं पाता, व्यापारी व्यापारमें लाभ नहीं पाता और
कृषक कृषिकार्यमें सफल नहीं होता |

इसलिये इन विघ्नोंको दूर करनेके लिये पुण्य दिनमें स्नपनकार्य करना चाहिये | 
पीले सरसोंकी खली, घृत और सुगन्धित कुंकुमका उबटन लगाकर स्नान कर पवित्र हो जाय |ब्राह्मणोंद्वारा स्वस्तिवाचन कराये | 
विधिपूर्वक कलश स्थापन करे और ब्राह्मण अभिमन्त्रित जलके द्वारा यजमानका अभिषेक करे और इस प्रकार कहे,

सहस्त्राक्षं शतधारमृषिणा वचनं कृतम् |
तेन त्वामभिषिञ्जामि पावमान्यः पुनन्तु ते ||

भगं ते वरुणो राजा भगं सूर्यों बृहस्पतिः |
भगमिन्द्रश्च वायुश्च भगं सप्तर्षयो ददुः ||

यत्ते केशेषु दौर्भाग्यं सीमान्ते यच्च मूर्घनि |
ललाटे कर्णयोरक्ष्णोरापस्तद्घ्नन्तु ते सदा ||

मैं तुम्हें अभिषिक्त कर रहा हूँ,
पावमानी ऋचाओंकी अधिष्ठातृदेवता तुम्हें पवित्र करें |
महाराजा वरुण, भगवान् सूर्य, बृहस्पति, इन्द्र,
वायु तथा सप्तर्षिगण अपना अपना तेज तुममें आधान करें |
तुम्हारे केशों, सीमन्त, मस्तक, ललाट, कानों एवं आंखोमें जो भी दौर्भाग्य है,
उसको ये अप् देवता नष्ट करें |

अनन्तर कुशाको दक्षिण हाथमें ग्रहण कर सरसोंके तेलसे हवन करे |
मित, सम्मित, साल, कालकंटक, कुष्माण्ड तथा
राजपुत्रके अन्तमें स्वाहा समन्वित कर हवन करे |
चतुष्पथपर कुश बिछाकर सूपमें इनके निमित्त बलि नैवेद्य अर्पण करे |
खिले हुए फूल तथा दूर्वासे अर्घ्य दे |
मण्डलमें अर्घ्य प्रदानकर विनायककी माता अम्बिकाकी पूजा करे और
यह प्रार्थना करे,
मातः, आप मुझे रुप, यश, ऐश्वर्य, पुत्र तथा धन प्रदान करें और
मेरी समस्त कामनाओंको पूर्ण करें |
अनन्तर सफेद वस्त्र, सफेद माला और
सफेद चन्दन धारणकर ब्राह्मणको भोजन कराये और
गुरुको दो वस्त्र प्रदान करे |
इस प्रकार ग्रहोंकी और विनायककी विधिपूर्वक पूजा करनेसे सम्पूर्ण कर्मोंके
फलकी प्राप्ति होती है और लक्ष्मीकी भी प्राप्ति हो जाती है |
भगवान् सूर्य, कार्तिकेय एवं महागणपतिकी पूजा करके मनुष्य
सभी सिद्धियोंको प्राप्त कर लेता है |

|| विनायक शांति सम्पूर्ण || 
karmkandbyanandpathak

नमस्ते मेरा नाम आनंद कुमार हर्षद भाई पाठक है । मैंने संस्कृत पाठशाला में अभ्यास कर (B.A-M.A) शास्त्री - आचार्य की पदवी प्राप्त की हुईं है । ।। मेरा परिचय ।। आनंद पाठक (आचार्य) ( साहित्याचार्य ) ब्रह्मरत्न अवार्ड विजेता (2015) B.a-M.a ( शास्त्री - आचार्य ) कर्मकांड भूषण - कर्मकांड विशारद ज्योतिष भूषण - ज्योतिष विशारद

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