पंचक क्या है ? पंचक का फल | त्रिपुष्कर योग | Panchak kya hota hai ?

 

पंचक क्या है ? पंचक का फल | त्रिपुष्कर योग

पंचक क्या है ? पंचक का फल | त्रिपुष्कर योग

द्विपुष्करत्रिपुष्करयौग

भद्रातिथी रविजभूतनयार्कवारे

द्विशार्यमाजचरणादितिवह्निवैश्वे |

त्रैपुष्करो भवति मृत्युविनाशवृद्धौ

त्रैगुण्यदो द्विगुणकृद्वसुतक्षचान्द्रे ||


शनिवार, मंगलवार और रविवार इन दिनों में 

यदि द्वितीय, सप्तमी, द्वादशी ये तिथि हों,

विशाखा, उत्तराफाल्गुनी, पूर्वभाद्रपद, पुनर्वसु, कृत्तिका, उत्तराषाढ़ा 

ये नक्षत्र हो, तो इन तीनों के आपस में मिलने से त्रिपुष्कर योग होता है |

वह मृत्यु, विनाश और वृद्धि में तिगुना फल देता है |

 जैसे त्रिपुष्कर योग में यदि किसी के घर में कोई मरे, तो तीन प्राणी मरें, कोई वस्तु खो जाय, तो उसका फल यह है कि तीन वस्तु खो जायँ |

भद्रा तिथि शनि, भौम, रविवार, धनिष्टा, चित्रा और मृगशिर नक्षत्र के योग से द्विपुष्कर योग होता है इसका फल दोगुना होता है ||


पञ्चके वर्ज्याणि

वासवोत्तरदलादिपञ्चके

याम्यदिग्गमनं गृहगोपनम् |

प्रेतदाहतृणाकाष्ठसञ्चयं

शय्यकावितरणं च वर्जयेत् ||


धनिष्ठा नक्षत्र का उत्तरार्ध, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपदा, उत्तराभाद्रपदा, रेवती इन नक्षत्रों को पञ्चक कहते हैं | इनमें प्रेतदाह, घास तथा लकड़ी का इकट्ठा करना, खाट का बनवाना वर्जित है ||


पञ्चकादिफलम्

पञ्चके पञ्चगुणितँ त्रिगुणं च त्रिपुष्करे |

यमले द्विगुणं सर्वं हानीष्टव्याधिकं भवेत् ||

पञ्चकों में हानि, लाभ तथा व्याधि पाँचगुना, 

त्रिपुष्कर में तिगुना, द्विपुष्कर में दोगुना होती है ||










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આચાર્ય શ્રી આનંદકુમાર પાઠક સાહિત્યાચાર્ય-સંસ્કૃતમાં B.a-M.a ૨૫ વર્ષની અવિરત યાત્રા બ્રહ્મરત્ન પુરસ્કાર વિજેતા - ૨૦૧૫ શાસ્ત્રી - આચાર્ય - ભૂષણ - વિશારદ કર્મકાંડ ભૂષણ -કર્મકાંડ વિશારદ જ્યોતિષ ભૂષણ - જ્યોતિષ વિશારદ

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