शिव अभिषेक स्तोत्र | शिव अभिषेक विधि | इन द्रव्यों से करे शिव अभिषेक | ॐ नमो भवाय शर्वाय | Shiva abhishek stotra | ॐ Namo bhavay sharvay |


शिव अभिषेक स्तोत्र 

एक बहुत ही उत्तम स्तोत्र जो महाभारत के द्रोणपर्व में अर्जुन द्वारा रचित है | 
इसी स्तोत्र के माध्यम से अर्जुन ने शिव को प्रसन्न किया था 
और युद्ध में विजय प्राप्त किया |
 इस स्तोत्र की खासियत है की जैसी जिसकी मनोकमना होती है 
उस हिसाब से द्रव्यों के द्वारा अभिषेक करके मनोकामना की पूर्ति की जाती है | 
शिव अभिषेक के लिये गोश्रृंगि का प्रयोग करे | 
| ॐ नमो भवाय शर्वाय | Shiva abhishek stotra | ॐ Namo bhavay sharvaay |
शिव अभिषेक स्तोत्र 

इन द्रव्यों से करे अभिषेक 
- अक्षत से अभिषेक करने से पुत्र प्राप्ति होती है | 
- बिल्वपत्र से अभिषेक करने से अर्थात इस स्तोत्र द्वारा शिव को अर्पण करने से स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति होती है | 
- दूर्वा से अभिषेक करने से दीर्घायुष्य की प्राप्ति होती है | 
- काले तिल से अभिषेक करने से सभी मनोकामना पूर्ण होती है | 
( काले तिल को दूध या जल में मिश्रित कर अभिषेक कर सकते है ) 
- सिर्फ दूध से अभिषेक करने से रोग मुक्ति होती है, देह स्वस्थ रहता है | 
- घी से अभिषेक करने से राजयोग प्राप्त होता है राजाओ के जैसा सुख प्राप्त होता है | 
- दर्भ ( कुशा ) से अभिषेक करने से शत्रुओ का विनाश हो जाता है | 
- भगवान् शिव का सबसे प्रिय गंगाजल से अभिषेक करने से सम्पूर्ण शिव कृपा प्राप्त होती है | 
- लक्ष्मी प्राप्ति के लिये गन्ने के रस से अभिषके करे | 
- सर्व कामनाओ की पूर्ति करने के लिये पंचामृत से अभिषेक करे | 



इस स्तोत्र के कितने पाठ करने चाहिये ? 
- इस स्तोत्र के 11 पाठ या अभिषेक करने से रुद्राभिषेक का फल प्राप्त होता है | 
- इस स्तोत्र का 121 पाठ करने से एक लघुरुद्र का फल प्राप्त होता है | 

भगवान् शिव को गोश्रृंगि या ताम्र कलश से अभिषेक करे 


ॐ नमो भवाय शर्वाय रुद्राय वरदाय च | 
पशूनां पतये नित्यं उग्राय च कपर्दिने || 1 || 

महादेवाय भीमाय त्र्यंबकाय शिवाय च | 
ईशानाय मखध्नाय नमस्ते मखधातिने || 2 || 

कुमार गुरुवे नित्यं नीलग्रीवाय वेधसे | 
विलोहिताय धूम्राय व्याधीने न पराजिते || 3 || 

नित्यं नीलशिखण्डाय शुलिने दिव्यचक्षुसे | 
हन्त्रे गोप्त्रे त्रिनेत्राय व्याधाय च सुरेतसे || 4 || 

अचिन्त्याम्बिकाभर्त्रे सर्व देव स्तुताय च | 
वृषभध्वजाय मुण्डाय जटिने ब्रह्मचारिणे || 5 || 

तप्तमानाय सलिले ब्रह्मण्याय जिताय च | 
विश्वात्मने विश्वसृजे विश्वमावृत्य तिष्ठते || 6 || 

नमो नमस्ते सत्याय भूतानां प्रभवे नमः | 
पञ्चवक्त्राय शर्वाय शंकराय शिवाय च || 7 || 

नमोस्तु वाचस्पतये प्रजानां पतये नमः | 
नमो विश्वस्यपतये  महतां पतये नमः || 8 || 

नमः सहस्त्रशीर्षाय सहस्त्रभुजमन्यवे | 
सहस्त्र नेत्रपादाय नमः सांख्याय कर्मणे || 9 || 

नमो हिरण्यवर्णाय हिरण्यकवचाय च | 
भक्तानुकम्पिने नित्यं सिध्यतां नो वर प्रभो || 10 || 

एवं स्तुत्वा महादेवं वासुदेवः सहार्जुनः |
प्रसादयामास भवं तदा शस्त्रोपलब्धयै || 11 || 

|| रुद्राभिषेक संपूर्ण || 

|| अस्तु ||   
|| जय श्री कृष्ण || 



इस तरह से इस रुद्राभिषेक का सम्पूर्ण अभिषेक करना चाहिये | 





karmkandbyanandpathak

नमस्ते मेरा नाम आनंद कुमार हर्षद भाई पाठक है । मैंने संस्कृत पाठशाला में अभ्यास कर (B.A-M.A) शास्त्री - आचार्य की पदवी प्राप्त की हुईं है । ।। मेरा परिचय ।। आनंद पाठक (आचार्य) ( साहित्याचार्य ) ब्रह्मरत्न अवार्ड विजेता (2015) B.a-M.a ( शास्त्री - आचार्य ) कर्मकांड भूषण - कर्मकांड विशारद ज्योतिष भूषण - ज्योतिष विशारद

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