आचमन क्यों करते है ? आचमन कैसे किया जाता है ? Aachaman Vidhi |


आचमन क्यों करते है ? आचमन कैसे किया जाता है ?

आचमन क्यों किया जाता है ?
आचमन अपने देह की शुद्धि के लिये | आत्मशुद्धि के लिये | पूजा का अधिकार प्राप्त करने के लिये आचमन करना जरुरी है | 
बिना आचमन के नित्य या नैमित्तिक कर्म करने से कर्म असफल माना जाता है | 

"नित्य काल मुपश्रुषेत" अर्थात सभी कर्मो में आचमन करना चाहिए | 

आचमन क्यों करते है ? आचमन कैसे किया जाता है ? Aachaman Vidhi |
आचमन विधि 


आचमन किसे कहते है ? 
शुद्धाचरण के साथ अपने मन सहित जिस पूजा का आरम्भ करने जा रहे हे वो आचमन है या 
मन को शुद्ध रखकर जिसका आचरण करते है वो आचमन कहलाता है | 

आचमन कैसे करना चाहिए ? 
" गायत्र्यै दाशिकाभ्यां वा न पित्र्येण कदाचन" आचमन सदा अपने हाथो में प्रजापति तीर्थ या देव तीर्थ से ही करे कभी भी पितृतीर्थ से आचमन नहीं करना चाहिए | 

आचमन करने के मंत्र 
ॐ केशवाय नमः | बोलकर जल पिए | 
ॐ नारायणाय नमः | बोलकर जल पिए | 
ॐ माधवाय नमः | बोलकर जल पिए | 
पश्चात ॐ गोविन्दाय नमः | बोलकर हाथ प्रक्षालन करे अर्थात अपना हाथ धोये | 


एक और आचमन मंत्र का विधान 
अन्य विधान में चारो वेदो को नमस्कार करके आचमन किया जाता है | 
ॐ ऋग्वेदाय नमः | बोलकर जल पिए  | 
ॐ यजुर्वेदाय नमः | बोलकर जल पिए  | 
ॐ सामवेदाय नमः | बोलकर जल पिए  | 
अंत में ॐ अथर्ववेदाय नमः | बोलकर हाथ धोये | 
इस प्रकार से सदैव आचमन करना चाहिए | 

|| आचमन विधि समाप्तः || 

Aachman Vidhi 

karmkandbyanandpathak

नमस्ते मेरा नाम आनंद कुमार हर्षद भाई पाठक है । मैंने संस्कृत पाठशाला में अभ्यास कर (B.A-M.A) शास्त्री - आचार्य की पदवी प्राप्त की हुईं है । ।। मेरा परिचय ।। आनंद पाठक (आचार्य) ( साहित्याचार्य ) ब्रह्मरत्न अवार्ड विजेता (2015) B.a-M.a ( शास्त्री - आचार्य ) कर्मकांड भूषण - कर्मकांड विशारद ज्योतिष भूषण - ज्योतिष विशारद

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