श्रीयंत्र की षोडशोपचार पूजा विधी | Shriyantra Solah Upchar Puja |


श्रीयंत्र की षोडशोपचार पूजा विधी

श्रीयंत्र की षोडशोपचार पूजा विधी | Shriyantra Solah Upchar Puja |
श्रीयंत्र षोडशोपचार पूजा


पौराणिक कथा के अनुसार जब श्रीयंत्र की उत्पत्ति देवताओ के गुरु बृहस्पति के द्वारा लक्ष्मीजी को मनाने के लिए की गई तब उसी कथा में बृहस्पति ने कहा है की
 श्रीयंत्र की प्राणप्रतिष्ठा करने के बाद सोलह उपचार पूजा करके ही श्रीयंत्र की स्थापना घर या व्यापार स्थान पर करनी चाहिए |
ऐसा करने वालो के घर में या जीवन में लक्ष्मीजी का कभी आभाव नहीं रहता |
तो आज इस लेख में श्रीयंत्र की सोलह उपचार पूजा प्रस्तुत कर रहे है |
सोलह उपचार पूजा क्या है ?
भिन्न भिन्न सोलह द्रव्य या उपचारो से पूजा की जाए उसे सोलह उपचार पूजा कहते है |( षोडशोपचार पूजा )

जैसे हर एक पूजा में सर्व प्रथम गणेशजी का स्मरण एवं पूजन किया जाता है वैसे ही श्रीयंत्र की सोलहउपचार पूजा में सर्वप्रथम गणेशजी का स्मरण करे |

श्रीगणपति ध्यान
ॐ विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लम्बोदराय सकलाय जगद्धिताय |
नागाननाय श्रुतियज्ञ विभूषिताय गौरीसुताय गणनाथ नमोनमस्ते ||
ॐ गं गणपतये नमः | नमस्करोमि |


श्रीयंत्र की षोडशोपचार पूजा ( सोलह उपचार पूजा )
सोलह उपचार के लिये सर्वप्रथम संकल्प करे : मम स कुटुंबस्य स परिवारस्य नित्यकल्याण प्राप्त्यर्थं अलक्ष्मी विनाशपूर्वकं दशविध लक्ष्मी प्राप्त्यर्थं व्यापारे वृद्धि अर्थं तथा च स्थिर लक्ष्मी प्राप्ति अर्थं श्रीयंत्रस्य षोड्षोपचार पूजन अहम् करिष्ये |
संकल्प करने माँ लक्ष्मीजी का ध्यान धरे |

ध्यान 
ॐ या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||
ॐ श्रीयन्त्राय नमः ध्यायोत्ध्यायामि |

अपने दाए हाथ में अक्षत पकड़कर माँ लक्ष्मीजी का आवाहन करे |

आवाह्न मंत्र
ॐ या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||
ॐ श्रीयंत्राय नमः आवाहनार्थे अक्षतां समर्पयामि || ( आवाहयामि स्थापयामि )

हाथ में पुष्प या पुष्प की पंखुडिया पकड़कर श्रीयंत्र को आसन समर्पित करे |

आसन अर्पण श्लोक
ॐ रम्यं सुशोभनं दिव्यं सर्वसौख्य करं शुभं |
आसनं च मया देवि गृहाण परमेश्वरि ||
ॐ श्रीयंत्राय नमः आसनार्थे पुष्पमया आसनं समर्पयामि |

एक चमच में या आचमनी में जल पकडे और श्रीयंत्र स्वरूपी माँ लक्ष्मीजी के पैरो को धोये |

पाद्य श्लोक
ॐ उष्णोदकं निर्मलं च सर्वसौगन्ध्य संयुतं |
पादप्रक्षालनार्थाय यंत्रं ते परिगृह्यतां ||
ॐ श्रीयंत्राय नमः चरणयोः पाद्यं समर्पयामि |

अर्घ्य श्लोक
ताम्रपात्रे स्थितं तोयं गन्धपुष्पफलान्वितं |
सहिरण्यं ददाम्यर्घ्यं  गृहाण परमेश्वरि ||
ॐ श्रीयंत्राय नमः अर्घ्यं समर्पयामि |

पश्चात श्रीयंत्र को स्नान कराने के लिए शुद्धजल पकडे या तीर्थजल पकडे |

स्नान श्लोक
ॐ गंगा सरस्वती रेवा पयोष्णी नर्मदा जलैः |
स्नापितोसी मया देवी ह्यतः शान्तिं प्रयच्छ में ||
ॐ श्रीयंत्राय नमः स्नानं समर्पयामि |

वस्त्र अर्पण श्लोक
सर्वभूषाधिके सौम्ये लोक लज्जा निवारणे |
मयोपपादिते तुभ्यं वाससि प्रतिगृह्यतां ||
ॐ श्रीयंत्राय नमः वस्त्रं समर्पयामि |

आभूषण
ॐ कंदलदंशुकिरीटमनर्घं कंकणकुण्डलनूपुरहारम |
अंगदमँगुलीभूषणमंब स्वीकुरु देवि पुराधिनिवासे ||
ॐ श्रीयंत्राय नमः आभूषणं समर्पयामि |

गंध ( कुंकुम या चन्दन ) अर्पण करने का श्लोक
ॐ श्रीखंडं चन्दनं दिव्यं गन्धाढ्यं सुमनोहरं |
विलेपनं सुरश्रेष्ठ चन्दनं प्रतिगृह्यतां ||
ॐ श्रीयंत्राय नमः गन्धं समर्पयामि |

पुष्प अर्पण करने का श्लोक
ॐ माल्यादीनि सुगन्धीनि मालत्यादीनि वै यंत्रौ |
मयानीतानि पूजार्थं पुष्पाणि प्रति गृह्यतां ||
ॐ श्रीयंत्राय नमः पुष्पं समर्पयामि |

धूप अर्पण करने का श्लोक
ॐ वनस्पतिरसोद्भूतो गन्धाढ्यो गंधउत्तमः |
आघ्रेयः सर्वदेवानां धूपोयं  प्रतिगृह्यतां ||
ॐ श्रीयंत्राय नमः धूपं समर्पयामि |

दीप अर्पण करने का श्लोक
आज्यं च वर्ति संयुक्तं वह्निना योजितं मया |
दीपं गृहाण देवेशि त्रैलोक्यति मिरापह ||
ॐ श्रीयंत्राय नमः दीपं समर्पयामि |

नैवेद्य अर्पण करने का श्लोक
ॐ शर्कराखण्डखाद्यानि दधिक्षीरघृतानि च |
आहारं भक्ष्यभोज्यं च नैवेद्यं प्रतिगृह्यतां ||
ॐ श्रीयंत्राय नमः नैवेद्यं समर्पयामि |

आचमनं श्लोक
ॐ सर्वतीर्थ समायुक्तं सुगन्धिं निर्मलं जलं |
आचम्यतां मया यंत्रं  गृहाण परमेश्वरि ||
ॐ श्रीयंत्राय नमः आचमन जलं समर्पयामि |

ताम्बूल अर्पण करने का श्लोक
ॐ पूगीफलं महतदिव्यं नागवल्लीदलैर्युतम |
ऐलादीचूर्णसंयुक्तं ताम्बूलं प्रतिगृह्यतां ||
ॐ श्रीयंत्राय नमः ताम्बूलं समर्पयामि |

पुष्पहार अर्पण करने का श्लोक
ॐ सेवन्तिका बकुल चंपक पाटलाब्जैः पुंनागजाति करवीर रसालपुष्पैः |
बिल्वप्रवालतुलसीदल मालिकाभिः त्वां पूजयामि जगदीश्वरी में प्रसीद ||
ॐ श्रीयंत्राय नमः पुष्पमालां समर्पयामि |

आरती
यहाँ पर मातारानी की कोई भी आरती का प्रयोग कर सकते है जैसे
माँ अम्बे की आरती या मातालक्ष्मीजी की आरती या माँ ललिता की या देवीजी की कोई भी आरती बोल सकते है |

नमस्कार श्लोक
या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||
ॐ श्रीयंत्राय नमः नमस्कारं समर्पयामि |

|| श्रीयंत्र षोड्षोपचार पूजा सम्पूर्णं ||

karmkandbyanandpathak

नमस्ते मेरा नाम आनंद कुमार हर्षद भाई पाठक है । मैंने संस्कृत पाठशाला में अभ्यास कर (B.A-M.A) शास्त्री - आचार्य की पदवी प्राप्त की हुईं है । ।। मेरा परिचय ।। आनंद पाठक (आचार्य) ( साहित्याचार्य ) ब्रह्मरत्न अवार्ड विजेता (2015) B.a-M.a ( शास्त्री - आचार्य ) कर्मकांड भूषण - कर्मकांड विशारद ज्योतिष भूषण - ज्योतिष विशारद

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