शिव पञ्चाक्षरी मंत्र विधि | Shiv Panchakshari Mantra |


शिव पञ्चाक्षरी मंत्र विधि

शिव पञ्चाक्षरी मंत्र विधि | Shiv Panchakshari Mantra |
शिव पञ्चाक्षरी मंत्र विधि


भगवान् भोलेनाथ शिव शङ्कर का मूल मंत्र है है "ॐ नमः शिवाय"
जिन्हे शिव षडाक्षरी मंत्र कहते है | 
इस मंत्र की साधना से भोलेनाथ प्रसन्न होते है | 
इस मंत्र की साधना में विनियोग-न्यास-आदि का प्रावधान है | 
विनियोग : 
ॐ अस्य मंत्रस्य वामदेव ऋषि पँक्ति छंद,
 ईशान देवता, ॐ बीजाय नमः शक्तये,
 शिवायेति कीलकाय सदाशिव प्रसन्नतार्थे जपे विनियोगः | 

षडङ्गन्यास : 
ॐ ॐ अङ्गुष्ठाभ्यां नमः | 
ॐ नं तर्जनीभ्यां नमः | 
ॐ मं मध्यमाभ्यां नमः | 
ॐ शिं अनामिकाभ्यां नमः | 
ॐ वां कनिष्ठिकाभ्यां नमः |
 ॐ यं करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः | 

ॐ ॐ हृदयाय नमः | 
ॐ नं शिरसे स्वाहा | 
ॐ मं शिखायै वौषट | 
ॐ शिं कवचाय हुम् | 
ॐ वां नेत्रत्रयाय वौषट | 
ॐ यं अस्त्राय फट | 



पञ्चमूर्ति न्यास : 
ॐ नं तत्पुरुषाय नमः तर्जनीभ्यां नमः | 
ॐ मं अघोराय नमः मध्यमाभ्यां नमः | 
ॐ शिं सद्योजाताय नमः अनामिकाभ्यां नमः | 
ॐ वां वामदेवाय नमः कनिष्ठिकाभ्यां नमः | 
ॐ यं ईशानाय नमः इत्यङ्गुष्ठयो नमः | 

ॐ नं तत्पुरुषाय नमः मुखे | 
ॐ मं अघोराय नमः हृदये | 
ॐ शिं सद्योजाताय नमः पादयोः | 
ॐ वां वामदेवाय नमः गुह्ये | 
ॐ यं ईशानाय नमः मूर्ध्नि | 



शिव ध्यान :
ध्यायेन्नित्यं महेशं रजतगिरिनिभं चारुचंद्रावतंसं 
रत्नकल्पोज्ज्वलांगं परशुमृगवराभीतिहस्तं प्रसन्नम | 
पद्मासीनं समन्तात्स्तुतममरगणै व्याघ्रकृत्तिं वसानं 
विश्वाद्यं विश्वबीजं निखिलभयहरं पंचवक्त्रं त्रिनेत्रं || 

मंत्र : 
ॐ नमः शिवाय 



यह मंत्र ६ लक्ष बार जाप करने से शिवकृपा और मंत्र सिद्धि प्राप्त होगी | 
विशेष अनुष्ठान करने के लिए २४ लक्ष मंत्र जाप का विधान है | 

मंत्र के बाद दशांश यज्ञ-तर्पण-मार्जन-ब्रह्मभोजन कराये | 
यज्ञ सामग्री :
पायस-घृत-मधु(शहद)-शर्करा(शक्कर) जिन्हे त्रिमधु भी कहते है | 
पलाश की समिधा का प्रयोग करे | 

विशेष टिपण्णी :
यह अनुष्ठान आप घर के मंदिर के सामने कर सकते है | 
शिवमंदिर या विष्णु मंदिर में भी कर सकते है | 
पीपल के पेड़ के निचे भी कर सकते है | 
बिल्व वृक्ष के निचे भी कर सकते है | 

इस मंत्र जाप के लिए रुद्राक्ष की माला का प्रयोग करे | 
पूर्व-उत्तर-या ईशान कोने की और अपना मुँह रखे | 
दर्भासन(कुशाशन)-कम्बल के आसन का प्रयोग करे | 

अगर अनुष्ठान करते है तो ब्रह्मचर्य का पालन करे | 
फलाहार करे या एक समय अन्न का आहार एक समय केवल फलाहार करे | 
भूमि शयन करे | 
स्त्री सम्भोग से बचे | 
किसी की भी निन्दा करने से बचे | 
जितना हो सके मौन का पालन करे | 
घर में कलह ना करे | 
गुस्सा ना करे | 

अनुष्ठान के लिए सावन माह उत्तम है | 
या चतुर्माह में भी कर सकते है | 

|| श्री रस्तु || 

karmkandbyanandpathak

नमस्ते मेरा नाम आनंद कुमार हर्षद भाई पाठक है । मैंने संस्कृत पाठशाला में अभ्यास कर (B.A-M.A) शास्त्री - आचार्य की पदवी प्राप्त की हुईं है । ।। मेरा परिचय ।। आनंद पाठक (आचार्य) ( साहित्याचार्य ) ब्रह्मरत्न अवार्ड विजेता (2015) B.a-M.a ( शास्त्री - आचार्य ) कर्मकांड भूषण - कर्मकांड विशारद ज्योतिष भूषण - ज्योतिष विशारद

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