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केमन्द्रुम योग | Kemandrum Yog |

 

केमन्द्रुम योग

केमन्द्रुम योग 



केमन्द्रुम योग शाप या 
अभिशाप या वरदान 
 क्या है निवारण ? 
केमन्द्रुम योग कैसे बनता है ? 
केमन्द्रुम योग का फल क्या है ? 

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जन्मकुंडली में 
कई प्रकार के भिन्न भिन्न अरिष्ट दोष बनते है | 
और ऐसे दोषो की वजह से मनुष्य की ज़िन्दगी में कई प्रकार के कष्ट भुगतने पड़ते है | 
वैसे ही योगो में से एक योग है केमन्द्रम योग | 
जन्मकुण्डली में चंद्र के आगे और पीछे कोई ग्रह ना हो और चंद्र के साथ 
कोई ग्रह ना बैठा हो तो उसे  केमद्रुमयोग कहते है | 
किन्तु उसके भी कई प्रकार के अपवाद है | 
आज आपको निवारण सहित यहाँ प्रस्तुत कर रहा हु | 

केमन्द्रुमयोग फलनिरुपण 
सद्वित्तसुनूवनितात्मजनैर्विहीनः 
प्रेष्यो भवेत्तु मनुजो हि विदेशवासी | 
नित्यं विरुद्धधिषणो मलिनः कुवेषः 
केमन्द्रुमे च मनुजाधिपतेः सुतोऽपि || 
जिसका जन्म जन्मसमय के अनुसार 
केमन्द्रुम योग में होता है 
वह राजपुत्र भी हो तो भी धन, सम्पत्ति, पुत्र, स्त्री, मित्र से रहित 
दास परदेशवासी विपरीत बुद्धिवाला मलिन और कुरूप होता है | 

केमन्द्रुम योग भङ्ग कब हो जाता है ? 

अगर चंद्र अकेला होकर भी उस चंद्र पर किसी अन्य ग्रहो की या सर्वग्रहो 
की दृष्टि होती है तो वो केमन्द्रुमयोग भङ्ग हो जाता है 
अर्थात वो केमन्द्रुम योग नहीं कहलाता | 
सिर्फ इतनाही नहीं वो सुखी सम्पन्न हो जाता है | 
वो मनुष्य दीर्घायु, धनवान, सब कुछ प्राप्त कर लेता है | 
और जब अधिकतर ग्रह केन्द्रस्थान में हो तो केमन्द्रुम योग नष्ट हो जाता है | 

केमन्द्रुमयोग निवारण : 
चंद्र के 44,000 मंत्र जाप करवाए संकल्प कर के | 
भगवान् शिव का लघुरुद्र यज्ञ या अभिषेक करवाए | 
चंद्र का 3 से 5 रति का नँग कनिष्टिका में चांदी में अंगूठी बनवाकर धारण करे | 
नित्य शिव उपासना करे | 

|| केमन्द्रुमयोग निरूपण समाप्त || 

केमन्द्रुम योग | Kemandrum Yog | केमन्द्रुम योग | Kemandrum Yog | Reviewed by karmkandbyanandpathak on 7:22 AM Rating: 5

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