शनि व्रत | Shani vrat |


 शनि व्रत

शनि व्रत


अगर आप शनि की साढ़ेसाती या ढैया से गुजर रहे है | 
या आपकी जन्मकुंडली में शनि नीच का है | 
या शनि की महादशा चल रही है तो अवश्य यह शनिदेव का व्रत करे | 
यह व्रत शनिदेव की पूर्ण कृपा देनेवाला है |
  पीड़ा हरनेवाला है | 
शनिग्रह से जुडी कोई भी समस्या हो तो अवश्य यह कारगर व्रत करे | 

व्रतविधान सामग्री :
शनिदेव की लोहे की छोटी मूर्ति 
मिट्टीका कुम्भ ( घड़ा )
कोई भी तेल 
काले कपडे का टुकड़ा 
काला पुष्प 
काले तिल 

व्रतविधि :
एक मिटटी के घड़े में लोहे की शनिदेव की मूर्ति डाले | 
उसमे तेल डाले | 
उसमे काला कपडा डाले | 
उसमें काले तिल डाले | 
काले पुष्प डाले | 
और पश्चात उस घड़े को किसी भी श्यामवर्ण 
वाले ब्राह्मण को किसी भी शनिवार दान में दे दे | 
 कोई भी ब्राह्मण  
 को यह कुम्भ दान कर सकते है | 
कुम्भ दान करके वापिस घर आने के बाद स्नान कर ले | 
स्नान कर ने के बाद घर में ही या हनुमानजी के या शनिदेव के मंदिर में 
यह श्लोक सिर्फ एक बार बोले | 
शनिदेव 10 नाम श्लोक 
कोणस्थः पिङ्गलो बभ्रुः कृष्णो रौद्रोऽन्तको यमः | 
सौरिः शनैश्चरो मन्दः पिप्पलादेन संस्तुतः || 
यह श्लोक बोले | 

ऐसा हर शनिवार या महीने में एक शनिवार एक वर्ष तक करे | 
ऐसा करने से शनि से जुडी हुई कोई भी समस्या हो वो सम्पूर्ण नष्ट हो जायेगी || 

|| शनिव्रत समाप्त || 

karmkandbyanandpathak

नमस्ते मेरा नाम आनंद कुमार हर्षद भाई पाठक है । मैंने संस्कृत पाठशाला में अभ्यास कर (B.A-M.A) शास्त्री - आचार्य की पदवी प्राप्त की हुईं है । ।। मेरा परिचय ।। आनंद पाठक (आचार्य) ( साहित्याचार्य ) ब्रह्मरत्न अवार्ड विजेता (2015) B.a-M.a ( शास्त्री - आचार्य ) कर्मकांड भूषण - कर्मकांड विशारद ज्योतिष भूषण - ज्योतिष विशारद

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