भगवान् को पवित्रा कैसे पहनाये ? pavitra pehnane ki vidhi |


भगवान् को पवित्रा कैसे पहनाये ?

भगवान् को पवित्रा कैसे पहनाये ?


श्रावण शुक्ल एकादशी जिन्हे पुत्रदा एकादशी भी कहते है |
इस दिन विधिविधान पूर्वक पवित्र लाकर उसे पञ्चगव्य
से या गङ्गाजल से धोकर संक्षिप्त में भगवान् को
प्रार्थना कर के भगवान की मुर्तिओ को - तस्वीरों को -
 पितृओ की तस्वीरों को पवित्र अर्पण कर सकते है |

यहाँ पर केवल में संक्षिप्त विधान बता रहा हु |
जैसे सरल विधि से पवित्रा कैसे पहना सकते है ?
संक्षिप्त विधि क्या है ?
कौन से मंत्र से पहना सकते है ?
कैसे रंग के पवित्र भगवान को पहना सकते है ?
कैसे पवित्रा अपने पितरो की तस्वीरो को पहना सकते है ?
पितरो की फोटो को कैसी माला पहनाये ?

पहले के समय में आज के समय जैसे सुशोभित
श्रृंगारित माला या पवित्र नहीं मिलते थे |
पहले के समय में सूत से बनाया हुआ अपने हाथो से
बनाया हुआ पवित्रा बेलकर भगवान् को
पहनाया जाता था |
हमारे शास्त्रों के अनुसार नौ सूत वाला पवित्रा सबसे
उत्तम माना गया है |
सत्ताईस सूत वाला पवित्रा मध्यम बताया गया है |

किन्तु आजकल सब हमें उपलब्ध है तो यह हम आजकल
 घर में ना बनाकर बाजार से ही खरीदकर लाते है |
लेकिन बाजार से सीधा कभी भी लाकर पवित्रा भगवान् को
 समर्पित नहीं करने चाहिए |

सर्वप्रथम लाये हुए पवित्रा को पञ्चगव्य या गङ्गाजल से
धोकर किसी स्वच्छ वस्त्र से उसे पोछ ले  |
पश्चात उसे अपने सामने या मंदिर में
रखकर निचे दी गए श्लोक से प्रार्थना करे |
क्रियालोप विधानार्थं यत्वया विहितं प्रभो |
मयैतत्क्रियते देव तव तुष्ट्यै पवित्रकं ||
न में विघ्नो भवेद्देव कुरुनाथ दयां मयि |
सर्वथा सर्वदा विष्णो मम त्वं परमा गतिः ||

केवल यह प्रार्थना कर के फिर आप
भगवान् की मूर्ति - भगवान् की तस्वीरो  और
पितरो की तस्वीरो को पवित्रा पहना सकते है |

|| अस्तु ||
Chalo satsang kariye

આચાર્ય શ્રી આનંદકુમાર પાઠક સાહિત્યાચાર્ય-સંસ્કૃતમાં B.a-M.a ૨૫ વર્ષની અવિરત યાત્રા બ્રહ્મરત્ન પુરસ્કાર વિજેતા - ૨૦૧૫ શાસ્ત્રી - આચાર્ય - ભૂષણ - વિશારદ કર્મકાંડ ભૂષણ -કર્મકાંડ વિશારદ જ્યોતિષ ભૂષણ - જ્યોતિષ વિશારદ

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