मूल नक्षत्र में जन्म होने का फल | Mool nakshtra me janm ka phal |



मूल नक्षत्र में जन्म

किस चरण का क्या फल है ?

मूल नक्षत्र शांति कैसे करे ?

मूल नक्षत्र शांति कब करवाये ?

मूल नक्षत्र में जन्म

मूल नक्षत्र में जन्म होने का फल

चरण - १  पिता का नाश होता हैं

चरण - २ माता का नाश होता हैं

चरण - ३ धन का नाश होता हैं

चरण - ४ शुभदायी है होता हैं

मूल नक्षत्र के रहनेका स्थान

माघ - भाद्रपद - आषाढ़ - आश्विन / स्वर्गमें

कार्तिक - पोष - चैत्र - श्रावण / पृथ्वी पर

मार्गशीर्ष - फाल्गुन - वैशाख - ज्येष्ठ / पाताल


मूल नक्षत्र शांति 

 विद्वान ब्राह्मणो को बुलवाकर उनके द्वारा जब मूल नक्षत्र हो तभी शांति करवाये |

मूल शांति चरणों के अनुसार करवानी चाहिये |

आचमन-प्राणायाम-तिलक-रक्षासूत्र-शांतिपाठ-देवतानमस्कार-

मध्य में रुद्राकलश की स्थापना कर

चार दिशाओ में चार कलशो की स्थापना की जाती है |

शांतिसूक्त-अग्निसूक्त-रुद्रसूक्त-मृत्युञ्जयमंत्र से अभिमंत्रित किया जाता है |

पूर्वादि क्रम से नक्षत्र देवताओ का आवाहन किया जाता है |

दशदिक्पाल देवताओ का आवाहन किया जाता है |

नवग्रह यज्ञ-प्रधानदेवता का यज्ञ-

नक्षत्रदेवता का यज्ञ-लक्ष्मीयज्ञ-रुद्रयज्ञ-

सर्षप-गुग्गुल से यज्ञ

पूर्णाहुति

अभिषेक कर्म

सर्वोषधि डालकर सौं छिद्र वाले कुम्भ से अभिषेक |

कास्यपात्र में मुखावलोकन |

घी-तिल पात्रदान दक्षिणा और ब्राह्मण भोजन संकल्प |

|| अस्तु ||

Chalo satsang kariye

આચાર્ય શ્રી આનંદકુમાર પાઠક સાહિત્યાચાર્ય-સંસ્કૃતમાં B.a-M.a ૨૫ વર્ષની અવિરત યાત્રા બ્રહ્મરત્ન પુરસ્કાર વિજેતા - ૨૦૧૫ શાસ્ત્રી - આચાર્ય - ભૂષણ - વિશારદ કર્મકાંડ ભૂષણ -કર્મકાંડ વિશારદ જ્યોતિષ ભૂષણ - જ્યોતિષ વિશારદ

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