रुद्राक्षफा महत्व | Rudraksh ka Mahatva |
रुद्राक्षफा महत्व
![]() |
रुद्राक्षफा महत्व |
रुद्रो रुद्राक्षदानेन भवतीति किमद्भुम् |
तन्मालया सदाह्ल स्ते रुद्रश्च क्रमते क्षितौ |
रुद्राक्षाणि स्वयं रुद्रो ये च रुद्राक्षधारकाः ||
रुद्राक्ष के दान से दाता रुद्र होता है,
क्या यह अद्भुत नहीं है |
जो उन रुद्राक्षों की माला को सदा हाथ में रखता है,
वह इस पृथ्वी पर क्रम से रुद्र हो जाता है |
रुद्राक्ष स्वयं ही रुद्र है और रुद्राक्षधारक भी शिव है |
रुद्राक्षधारणात्तस्माद् इह रुद्रः परत्र च |
रुद्राक्षमालां यो धत्ते भक्त्या कण्ठे करेऽपि वा ||
शतार्धार्ध प्रमाणेन स रुद्रो नात्र संशयः |
रुद्राक्ष को धारण करने के कारण वे इहलोक में भी रुद्र हैं और परलोक में भी |
जो भक्तिपूर्वक रुद्राक्ष की माला चाहे वह संख्या में सौ दानों की हो,
आधे या फिर आधे के आधे रुद्राक्ष के दानों की माला ही हो,
वह रुद्र ही है, इसमें कोई सन्देह नहीं है |
जपाच्च रुद्रमन्त्रानां कोटिकोटिगुणोत्तरम् ||
हस्तेमूध्न्र्यपवतीते वा कृत्वा रुद्राक्षमालिकाम् |
यश्च भुञ्जित तद्भुक्तं रुद्रो भूङक्ते स्वयं प्रभुः ||
रुद्राक्षधारणं तस्मात् नित्यमेव प्रशस्यते |
परात्मानुग्रहार्थाय ब्राह्मणस्य विशेषतः ||
इसके रुद्रमाला के करोड़ जाप भी करोड़ गुना हो जाते हैं |
रुद्राक्षमाला हाथ में लेकर अथवा सिर पर उपवीत रखकर जो भोजन करता है,
उसने स्वयं प्रभु रुद्र को ही भोग लगाया है, ऐसा समझना चाहिए |
इसलिए रुद्राक्ष को नित्य धारण करना प्रशस्त होता है |
परात्मा का अनुग्रह मिले, इसके लिए ब्राह्मण
को तो विशेषकर रुद्राक्ष धारण करना चाहिए |
||
रुद्राक्षफा महत्व | Rudraksh ka Mahatva |
Reviewed by karmkandbyanandpathak
on
11:31 AM
Rating:

No comments: