केतु पूजन | Ketu Pujan |

 

केतु पूजन

केतु पूजन



केतु को भी छाया ग्रह माना जाता है |
जन्मकुंडली में केतु के शुभ स्थान पर होने से जातक भीषण दुर्घटना से भी सुरक्षित रहता है जबकि अनिष्टकारी होने पर वह चर्म रोग,
कारावास एवं जलाघात का कारण बनता है |
सौरमंडल में केतु का स्थान नैऋत्य में है |
केतु के वक्री होने पर कुप्रभाव से मुक्ति मिलती है |
केतु पूजन मंगलवार को रात्रि के प्रथम प्रहर में किया जाता है |
रवि पुष्य योग के आरंभ में अथवा कन्या या मकर लग्न में केतु पूजन अधिक फलदायी होता है |

|| आह्वान मंत्र ||
काले पुष्प और काले रंग के अक्षत हाथ में लेकर निम्नलिखित मंत्र द्वारा केतु का आह्वान करें,

पलाशपुष्पसंकाशं तारकाग्रहमस्तकम् |
रौद्रं रौद्रात्मकं घोरं केतुं आवाहयाम्यहम् ||

|| स्थापना मंत्र ||
इसके बाद निम्नवत मंत्र द्वारा केतु की स्थापना करें,

ॐ भूर्भुवः स्वः केतो इहागच्छ इहतिष्ठ |
ॐ केतवे नमः |

मंत्र पाठ के बाद काले अक्षत और काले पुष्प को नवग्रह मंडल में केतु के स्थान पर छोड़ दें |

|| ध्यान मंत्र ||
तत्पश्चात निचे प्रस्तुत मंत्र द्वारा केतु का ध्यान करें,

धूम्रो द्विबाहुर्वरदो गदाधरो गृद्धासनस्थो विकृताननश्च |
किरीट केयूर विभूषितो यः सर्वोस्तु मे केतुगणः प्रशान्त्यै ||
ॐ अनेक रुपवर्णश्च शतशोऽथ सहस्त्रशः |
उत्पातरुपो जगतां पीडां हरतु ते शिखी ||

|| केतु मंत्र ||
केतु के बीज मंत्र और तांत्रिक मंत्र निम्नलिखित हैं,
जिनकी जप संख्या 17,000 है,

ॐ कें केतवे नमः |
ॐ स्त्रां स्त्रीं स्त्रौं सः केतवे नमः |

|| केतु यंत्र ||
केतु के यंत्र में किसी भी ओर से जोड़ने पर इसका योगफल 39 ही आता है |
इसे किसी भी मास के शुक्ल पक्ष के प्रथम रविवार या मंगलवार के दिन शुभ नक्षत्र में काली स्याही द्वारा अनार की कलम से सफेद कागज पर लोखें |
फिर धूप, दीप तथा काले पुष्प चढ़ाकर
ॐ स्त्रां स्त्रीं स्त्रौं सः केतवे नमः |
मंत्र का जप करके लोहे की तावीज अथवा काले ता नीले वस्त्र में श्रद्धा और
विश्वासपूर्वक धारण करें |



|| केतु दान ||
केतु की दान सामग्री है, 
वैदूर्य, तिल, काला कंबल, कस्तूरी, शस्त्र, कला वस्त्र, तेल, काले पुष्प और धान |
यह दान मंगलवार के दिन दक्षिणा सहित देना चाहिए |
उपरोक्त ग्रहों के जप, साधना एवं पूजन करके आप अभीष्ट फल की प्राप्ति कर सकते हैं |

|| अस्तु ||
karmkandbyanandpathak

नमस्ते मेरा नाम आनंद कुमार हर्षद भाई पाठक है । मैंने संस्कृत पाठशाला में अभ्यास कर (B.A-M.A) शास्त्री - आचार्य की पदवी प्राप्त की हुईं है । ।। मेरा परिचय ।। आनंद पाठक (आचार्य) ( साहित्याचार्य ) ब्रह्मरत्न अवार्ड विजेता (2015) B.a-M.a ( शास्त्री - आचार्य ) कर्मकांड भूषण - कर्मकांड विशारद ज्योतिष भूषण - ज्योतिष विशारद

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