पंचदेवता प्रातः स्मरण | Panchdevta Pratah Smaran |

 

गणेश स्मरण

पंचदेवता प्रातः स्मरण


गणेश प्रातःस्मरण 
प्रातः स्मरामि गणनाथमनाथबन्धुं
सिन्दूरपूरपरिशोभितगण्डयुग्मम् |
उद्दण्डविघ्नपरिखण्डनचण्डदण्ड
माखण्डलादिसुरनायकवृन्दवन्द्यम् ||

अनाथोंके बन्धु, सिन्दूरसे शोभायमान दोनों गण्डस्थलवाले,
प्रबल विघ्नका नाश करनेमें समर्थ एवं इन्द्रदि देवोंसे नमस्कृत 
श्रीगणेशका मैं प्रातःकाल स्मरण करता हूँ |


विष्णु स्मरण -
प्रातः स्मरामि भवभीतिमहार्तिनाशं
नारायणं गरुडवाहनमब्जनाभम् |
ग्राहाभिभूतवरवारणमुक्त्तिहेतुं
चक्रायुधं तरुणवारिजपत्रनेत्रम् ||

संसारके भयरूपी महान् दुःखको नष्ट करनेवाले,
ग्राहस गजराजको मुक्त करनेवाले,
चक्रधारी एवं नवीन कमलदलके समान नेत्रवाले,
पद्मनाभ गरुडवाहन भगवान् श्री नारायणका मैं प्रातःकाल स्मरण करता हूँ |


शिव स्मरण -
प्रातः स्मरामि भवभीतिहरं सुरेशं
गङ्गाधरं वृषभवाहनमम्बिकेशम् |
खट्वाङ्गशूलवरदाभयहस्तमीशं
संसाररोगहरमौषधमद्वितीयम् ||

संसारके भयको नष्ट करनेवाले, देवेश, गङ्गाधर, वृषभवाहन,
पार्वतीपति, हाथमें खट्वाङ्ग एवं त्रिशूल लिये और
संसाररुपी रोगका नाश करनेके लिये अद्वितीय ओषध स्वरुप,
अभय एवं वरद मुद्रायुक्त हस्तवाले भगवान् शिवका मैं प्रातःकाल स्मरण करता हूँ |


देवी समरण -
प्रातः स्मरामि शरदिन्दुकरोज्ज्वलाभां
सद्रत्नवन्मकरकुण्डलहारभूषाम् |
दिव्यायुधोर्जितसुनीलसहस्त्रहस्तां
रक्तोत्पलाभचरणां भवतीं परेशाम् ||

शरत्कालीन चन्द्रमाके समान उज्जवल आभावाली,
उत्तम रत्नोंसे जटित मकरकुण्डलों तथा हारोंसे]सुशोभित,
दिव्यायुधोंसे दीप्त सुन्दर नीले हजारों हाथोंवाले,
लाल कमलकी आभायुक्त चरणोंवाली भगवती दुर्गादेवीका मैं
प्रातःकाल स्मरण करता हूँ |


सूर्य स्मरण -
प्रातः स्मरामि खलु तत्सवितुर्वरेण्यं
रुपं हि मण्डलमृचोऽथ तनुर्यजूंषि |
सामानि यस्य किरणाः प्रभवादिहेतुं
ब्रह्माहरात्मकमलक्ष्यमचिन्त्यरुपम् ||

सूर्यका वह प्रशस्त रुप जिसका मण्डल ऋग्वेद,
कलेवर यजुर्वेद तथा किरणें सामवेद हैं |  
 जो सृष्टि आदिके कारण हैं, ब्रह्मा और शिवके स्वरुप हैं
तथा जिनका रुप अचिन्त्य और अलक्ष्य है,
प्रातःकाल मैं उनका स्मरण करता हूँ |


त्रिदेवोंके साथ नवग्रहस्मरण -
ब्रह्मा मुरारिस्त्रिपुरान्तकारी
भानु शशी भूमिसुतो बुधश्च |
गुरुश्च सर्वे शनिराहुकेतवः
कुर्वन्तु सर्वे मम सुप्रभातम् ||

ब्रह्मा, विष्णु, शिव, सूर्य, चन्द्रमा, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र,
शनि, राहु, और केतु ये सभी मेरे प्रतःकालको मंगलमय करें |


ऋषि स्मरण -
भृगुर्वसिष्ठः क्रतुरङ्गिराश्च
मनुः पुलस्त्यः पुलहश्च गौतमः |
रैभ्यो मरीचिश्च्यवनश्च दक्षः
कुर्वन्तु सर्वे मम सुप्रभातम् ||

भृगु, वसिष्ठ, क्रतु, अंगिरा, मनु, पुलस्त्य, पुलह, गौतम,
रैभ्य, मरीचि, च्यवन और दक्ष ये समस्त मुनिगण मेरे प्रातःकालको
मंगलमय करें |

|| अस्तु ||
karmkandbyanandpathak

नमस्ते मेरा नाम आनंद कुमार हर्षद भाई पाठक है । मैंने संस्कृत पाठशाला में अभ्यास कर (B.A-M.A) शास्त्री - आचार्य की पदवी प्राप्त की हुईं है । ।। मेरा परिचय ।। आनंद पाठक (आचार्य) ( साहित्याचार्य ) ब्रह्मरत्न अवार्ड विजेता (2015) B.a-M.a ( शास्त्री - आचार्य ) कर्मकांड भूषण - कर्मकांड विशारद ज्योतिष भूषण - ज्योतिष विशारद

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