एकादशी व्रत का परिचय | Ekadashi Vrat Ka Parichay |
एकादशी व्रत का परिचय
भगवान श्री कृष्णचन्द्र अर्जुन से बोले कि एक बार नैमिषारण्य में
शौनक आदि अट्ठासी हजार ऋषि एकत्रित हुये,
उन्होंने सूतजी से प्रार्थना की हे सूतजी,
कृपाकर एकादशियों का माहात्म्य सुनाने की कृपा करें |
सूतजी बोले - हे महर्षियों, एक वर्ष में बारह महीने होते हैं और
एक महीने में दो एकादशी होती हैं, सो एक वर्ष में चौबीस एकादशी हुईं |
जिस वर्ष में लैंद मास ( अधिक मास ) पड़ता है,
उस वर्ष दो एकादशी और बढ़ जाती हैं |
इस तरह कुल छब्बीस एकादशी होती हैं | उनके नाम ये हैं |
१. उत्पन्ना
२. मोक्षदा ( मोक्ष को देने वाली )
३. सफला ( सफलता देने वाली )
४. पुत्रदा ( पुत्र को देने वाली )
५. षटतिला
६. जया
७. विजया
८. आमलकी
९. पापमोचनी ( पापों को नष्ट करने वाली )
१०. कामदा
११. बरूथनी
१२. मोहनी
१३. अपरा
१४. निर्जला
१५. योगिनी
१६. देवशयनी
१७. कामिका
१८. पुत्रदा
१९. अजा
२०. परिवर्तिनी
२१. इन्दिरा
२२. पाशाँकुशा
२३. रमा
२४. देवोत्थानी एवं अधिक मास की दोनों एकादशियों के नाम
२५. पद्मिनी और
२६. परमा
ये सब एकादशी यथानाम तथाफल देने वाली है |
एकादशियों के माहात्म्य का वर्णन
जो पुण्य चन्द्र या सूर्य ग्रहण में स्नान या दान से होता है, तथा जो पुण्य अन्न दान, जल दान, स्वर्ण दान, भूमि दान, गौ दान, कन्या दान तथा अश्वमेघादि यज्ञ करने से होता है | जो पुण्य तीर्थ यात्रा तथा कठिन तपस्या करने से होता है, उससे अधिक पुण्य एकादशी व्रत रखने से होता है | एकादशी व्रत रखने से शरीर स्वस्थ रहता है, अन्तड़ियों की मैलदूर हो जाती है, हृदयशुद्ध हो जाता है, श्रद्धा भक्ति उत्पन्न हो जातो है, प्रभु को प्रसन्न करने का मुख्य साधन एकादशी का व्रत है | एकादशी व्रत करने वाले के पितृ कुयोनि को त्याग कर स्वर्ग मे चले जाते हैं, एकादशी व्रत करने वाले के दस पुरखे पितृ पक्ष के और दस पुरखे मातृ पक्ष के और दस पुरखे पत्नी पक्ष के बैकुण्ठ को जाते हैं |
दूध, पुत्र, धन और कीर्ति को बढ़ाने वाला एकादशी का व्रत है, एकादशी का जन्म भगवान् के शरीर से हुआ है, प्रभु के समान पतित पावनी है,
अतः आपको लाखों प्रणाम हैं |
|| अस्तु ||
एकादशी व्रत का परिचय | Ekadashi Vrat Ka Parichay |
Reviewed by karmkandbyanandpathak
on
7:40 AM
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