श्री बटुक भैरव माला मन्त्रंम् | Batuk bhairav mala mantra |
श्री बटुक भैरव माला मन्त्रंम्
![]() |
श्री बटुक भैरव माला मन्त्रंम् |
विनियोग
ॐ अस्य श्री बटुक भैरव माला मन्त्रस्य बृहदारण्यक ऋषिः, अनुष्टुप् छन्दः, श्री बटुक भैरवो देवता, ह्रीं बीजं, बटुकाय,शक्तिः, आपदुद्धारणाय कीलकं, ममाभिष्ट सिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः
माला मन्त्र
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं ह्रीं ॐ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरु कुरु बटुकाय ह्रीं द्रां द्रीं क्लीं क्लूं सः हौं जूं सः ह्रां ह्रीं ह्रूं भ्रां भ्रीं भ्रुं डमल वरयूं हौं हौं महा कालाय महा भैरवाय मां रक्ष रक्ष,
मम पुत्रान् रक्ष रक्ष,
मम भ्रातृन् रक्ष रक्ष,
मम शिष्यान् रक्ष रक्ष,
साधकान् रक्ष रक्ष,
मम परिवारान् रक्ष रक्ष,
ममोपरि दुष्ट दृष्टि दुष्ट बुद्धि दुष्ट प्रयोगान् कारकान् दुष्ट प्रयोगान् कुर्वति कारयति करिष्यति तां हन हन,
उच्चाटय उच्चाटय,
स्तम्भय स्तम्भय,
मारय मारय, मथ मथ,
धुन धुन
छेदय छेदय,
छिन्धि छिन्धि,
हन हन, फ्रें फ्रें फ्रें,
खें खें खें, ह्रीं ह्रीं ह्रीं,
ह्रूं ह्रूं ह्रूं,
दुं दुं दुं,
दुष्टं दारय दारय,
दारिद्रं हन हन,
पापं मथ मथ,
आरोग्यं कुरु कुरु,
पर बलानि क्षोभय क्षोभय,
क्षौं क्षौं क्षौं ह्रीं बटुकाय,
केलि रुद्राय नमः |
|| अस्तु ||
श्री बटुक भैरव माला मन्त्रंम् | Batuk bhairav mala mantra |
Reviewed by karmkandbyanandpathak
on
3:55 AM
Rating:

No comments: