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भीष्म अष्टमी | भीष्म तर्पण विधि | Bhishmashtmi Tarpan |

 

भीष्म अष्टमी | भीष्म तर्पण विधि | 

भीष्म अष्टमी



माघ शुक्ल अष्टमी जिसे दुर्गाष्टमी और भीष्माष्टमी भी कहते है | 
इस दिवस भीष्म तर्पण करने का विधान हमारे शास्त्रों में बताया हुआ है | 
इस दिवस भीष्म तर्पण करने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है | 
देव कृपा प्राप्त होती है | 
पितृ कृपा प्राप्त होती है | 
वर्ष पर्यन्त किये हुए पापो से मुक्ति मिलती है | 

यहाँ तक लिखा है जो मनुष्य इस दिवस तर्पण नहीं करता यह तो वह दोष का भागी होता है | 

भीष्म तर्पण श्लोक 
वैय्याघ्रपद्यगोत्राय सांकृत्यप्रवराय च | 
गङ्गापुत्राय भीष्माय आजन्मब्रह्मचारिणे || 
अपुत्राय जलं दध्मि नमो भीष्माय वर्मणे | 
भीष्मः शान्तनवो वीरः सत्यवादी जितेन्द्रियः || 
आभिरद्भिरवाप्नोतु पुत्रपौत्रोचितां क्रियां || 

तर्पण के पश्चात जनेऊ को सव्य कर के भीष्म को अर्घ्य दे 

भीष्म अर्घ्य मंत्र
वसूनामवताराय शंतनोरात्मजाय च | 
अर्घ्यं ददामि भीष्माय आबल्य ब्रह्मचारिणे || 

इस उपरोक्त श्लोक से ताम्बे के कलश में जल लेकर भीष्म को उद्देशित करे अर्घ्य देना चाहिये || 

कृपया ध्यान दे : कौस्तुभ के अनुसार जिनके पिता जीवित हो उनके पुत्रो को यह तर्पण नहीं करना चाहिये | 
पिता को ही यह तर्पण करना है | इस तर्पण को करते समय यज्ञोपवीत अपसव्य करके ही करना है | 

यह तर्पण महिलाओ को नहीं करना चाहिये || 

|| भीष्म तर्पण सम्पूर्णं || 
भीष्म अष्टमी | भीष्म तर्पण विधि | Bhishmashtmi Tarpan | भीष्म अष्टमी | भीष्म तर्पण विधि | Bhishmashtmi Tarpan | Reviewed by karmkandbyanandpathak on 3:42 AM Rating: 5

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