श्री महालक्ष्मी कमला अष्टोत्तरशत नामावली साधना

 

श्री महालक्ष्मी कमला अष्टोत्तरशत नामावली साधना 

श्री महालक्ष्मी कमला अष्टोत्तरशत नामावली साधना 



यह साधना लक्ष्मी के भण्डार भरदेने वाली है | 

अगर किसी भी प्रकार से धनलक्ष्मी प्राप्त करनी है तो यह साधना रामबाण है | 

इस साधना में संकल्प - विनियोग - न्यास - ध्यान का माहात्म्य है | 


सर्वप्रथम दाए हाथ में जल लेकर संकल्प करे | 

संकल्प : 

मम  कुटुम्बस्य  परिवारस्य नित्य कल्याण प्राप्ति अर्थं अलक्ष्मी विनाशपूर्वकं दशविध लक्ष्मी प्राप्ति अर्थं प्राप्त लक्ष्मी चिरकाल संरक्षण अर्थम् श्री महालक्ष्मी प्रीति अर्थम् श्रीं बीजयुक्त अष्टोत्तरशत नाम जपं अहम् करिष्ये | 


विनियोग : 

 अस्य श्री महालक्ष्मी मंत्रस्य भृगुऋषिः गायत्री छन्दः श्री महालक्ष्मीदेवता शं बीजं रं शक्तिः  कीलकं श्री महालक्ष्मी प्रीत्यर्थं अष्टोत्तरशत नाम जपे विनियोगः | 


ऋष्यादिन्यास :

श्रीभृगुऋषये नमः शिरसि | गायत्री छन्दसे नमः मुखे | श्री महालक्ष्मी देवतायै नमः हृदये | 

शं बीजाय नमः गुह्ये | रं शक्तये नमः पादयोः |  कीलकाय नमः नाभौ | 

श्रीमहालक्ष्मी प्रीत्यर्थे अष्टोत्तरशतनाम जपे विनयोगाय नमः सर्वाङ्गे | 


करन्यास :

श्रां अङ्गुष्ठाभ्यां नमः | श्रीं तर्जनीभ्यां स्वाहा  | श्रूं मध्यमाभ्यां वषट् | श्रैं अनामिकाभ्यां हुम् | 

श्रौं कनिष्ठिकाभ्यां वौषट् | श्रः करतलकर पुष्ठाभ्यां फट् | 


हृदयादि न्यास : 

श्रां हृदयाय नमः |  श्रीं शिरसे स्वाहा |  श्रूं शिखायै वषट् | श्रैं कवचाय हुम् | 

श्रौं नेत्रत्रयाय वौषट् | श्रः अस्त्राय फट् | 




   

नामावली - जप


 श्रीं महा मायायै नमः 

 श्रीं महा लक्ष्म्यै नमः 

 श्रीं मह वाण्यै नमः 

 श्रीं महेश्वर्यै नमः 

 श्रीं महादेव्यै नमः 

 श्रीं महारात्र्यै नमः 

 श्रीं महिषासुर मर्दिन्यै नमः 

 श्रीं कालरात्र्यै नमः 

 श्रीं  कुह्वै   नमः 

 श्रीं पूर्णायै नमः  || १० ||


 श्रीं आनन्दायै नमः 

 श्रीं आद्यायै नमः 

 श्रीं भद्रिकायै नमः 

 श्रीं निशायै नमः 

 श्रीं जयायै नमः 

 श्रीं रिक्तायै नमः 

 श्रीं महा शक्त्यै नमः 

 श्रीं देव मात्रे नमः 

 श्रीं कृशोदयै नमः 

 श्रीं शच्यै नमः || २० ||


 श्रीं इन्द्राण्यै नमः 

 श्रीं शक्र नुतायै नमः 

 श्रीं  शङ्कर प्रिय वल्लभायै नमः        

 श्रीं महा वराह  जनन्यै नमः 

 श्रीं मदनोन्मथिन्यै नमः 

 श्रीं मत्यै नमः 

 श्रीं वैकुण्ठ  नाथ  रमण्यै नमः 

 श्रीं विष्णु वक्षः स्थल स्थितायै नमः 

 श्रीं विश्वेश्वर्यै नमः 

 श्रीं विश्व मात्रे नमः , || ३० ||


 श्रीं वरदायै नमः 

 श्रीं अभयदायै नमः 

 श्रीं शिवायै नमः 

 श्रीं शूलिन्यै नमः

 श्रीं चक्रिण्यै नमः 

 श्रीं मायै नमः 

 श्रीं पाशिन्यै नमः 

 श्रीं शङ्ख धारिण्यै नमः 

 श्रीं गदिन्यै नमः 

 श्रीं मुण्डमालायै नमः || ४० ||


 श्रीं कमलायै नमः 

 श्रीं करुणालयायै नमः 

 श्रीं पद्माक्ष - धारिण्यै नमः 

 श्रीं अम्बायै नमः 

 श्रीं महा विष्णु प्रियंकर्यै नमः 

 श्रीं गो लोकनाथ रमण्यै नमः 

 श्रीं गो लोकेश्वर पूजितायै नमः 

 श्रीं गयायै नमः 

 श्रीं गङ्गायै नमः 

 श्रीं यमुनायै नमः  || ५० ||


 श्रीं गोमत्यै नमः

 श्रीं गरुड़ासनायै नमः 

 श्रीं गण्डक्यै नमः 

 श्रीं सरय्वै नमः 

 श्रीं ताप्यै नमः 

 श्रीं रेवायै नमः 

 श्रीं पयस्विन्यै नमः 

 श्रीं नर्मदायै नमः 

 श्रीं कावेर्यै नमः 

 श्रीं केदार स्थल वासिन्यै नमः || ६० ||


 श्रीं किशौर्यै नमः 

 श्रीं केशव नुतायै नमः 

 श्रीं महेन्द्र  परिवन्दितायै नमः 

 श्रीं ब्रह्मादि देवनिर्माण कारिण्यै नमः 

 श्रीं देवपूजितायै नमः 

 श्रीं कोटि ब्रह्माण्ड कारिण्यै नमः 

 श्रीं श्रुति रुपायै नमः 

 श्रीं श्रुति कर्य्यै नमः 

 श्रीं श्रुति परायणायै नमः  

 श्रीं स्मृति परायणायै नमः || ७० ||


 श्रीं इन्द्रिरायै नमः 

 श्रीं सिन्धु तनयायै नमः 

 श्रीं  मातङ्ग्यै नमः 

 श्रीं लोक मातृकायै नमः 

 श्रीं त्रिलोक जनन्यै नमः 

 श्रीं तन्त्रायै नमः 

 श्रीं तन्त्र मन्त्र स्वरुपिण्यै नमः 

 श्रीं तरुण्यै नमः 

 श्रीं तमो हन्त्रयै  नमः 

 श्रीं मंङ्गलायै नमः  || ८० ||


 श्रीं मङ्गलायनायै नमः 

 श्रीं मधुकैटभ मथिन्यै नमः 

 श्री शुम्भासुर  विनाशिन्यै नमः 

 श्रीं निशुम्भादि  हरायै नमः 

 श्रीं मात्रे नमः 

 श्रीं हरि  पूजितायै नमः 

 श्रीं शङ्कर पूजितायै नमः 

 श्रीं सर्व देव  मय्यै नमः 

 श्रीं सर्वायै नमः 

 श्रीं शरणागत पालिन्यै नमः  || ९० ||


 श्रीं शरण्यायै नमः 

 श्रीं शम्भु वनितायै नमः 

 श्रीं सिन्धुतीर निवासिन्यै नमः 

 श्रीं गन्धर्वगान  रसिकायै नमः 

 श्रीं गीतायै नमः 

 श्रीं गोविन्द वल्लभायै नमः 

 श्रीं त्रैलोक्य पालिन्यै नमः 

 श्रीं तत्व रुप तारुण्यपूरितायै नमः 

 श्रीं चन्द्रावल्यै नमः 

 श्रीं चन्द्र मुख्यै नमः  || १०० ||


 श्रीं चन्द्रिकायै नमः 

 श्रीं चन्द्र पूजितायै नमः 

 श्रीं चन्द्रायै नमः 

 श्रीं शशाङ्क - भगिन्यै नमः 

 श्री गीत वाद्य परायणायै नमः 

 श्रीं सृष्टि रुपायै नमः 

 श्रीं सृष्टि कर्यै नमः 

 श्रीं सृष्टि संहार कारिण्यै नमः , || १०८ ||


     

|| अस्तु || 




karmkandbyanandpathak

नमस्ते मेरा नाम आनंद कुमार हर्षद भाई पाठक है । मैंने संस्कृत पाठशाला में अभ्यास कर (B.A-M.A) शास्त्री - आचार्य की पदवी प्राप्त की हुईं है । ।। मेरा परिचय ।। आनंद पाठक (आचार्य) ( साहित्याचार्य ) ब्रह्मरत्न अवार्ड विजेता (2015) B.a-M.a ( शास्त्री - आचार्य ) कर्मकांड भूषण - कर्मकांड विशारद ज्योतिष भूषण - ज्योतिष विशारद

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