सर्वार्थ सिद्धि योग | Sarvarth Siddhi Yog |
सर्वार्थ सिद्धि योग
सूर्येऽर्कमूलोत्तरपुष्यदास्त्रं चन्द्रे श्रुतिब्राह्मराशीज्यमैत्रम् |
भौमेऽरव्यहिर्बुध्न्यकृशानुसापं ज्ञे ब्राह्ममैत्रार्ककृशानुचान्द्रम् ||
जीवेऽन्त्यमैत्रारव्यदितीज्यधिष्ण्यं शुक्रेऽन्त्यमैत्राश्व्यदितिश्रवोभम् |
शनौ श्रुतिब्राह्मसमीरभानि सर्वार्थसिद्ध्यै कथितानि पूर्वैः ||
रविवार को - हस्त, मूल, तीनों उत्तरा, पुष्य और अश्विनी ७ नक्षत्र,
सोमवार को - श्रवण, रोहिणी, मृगशिरा, पुष्य और अनुराधा ५ नक्षत्र,
भौमवार को - अश्विनी,उत्तराभाद्रपदा, कृत्तिका और आश्लेषा ४ नक्षत्र,
बुधवार को - रोहिणी, अनुराधा, हस्त, कृत्तिका और मृगशिरा, ये ५ नक्षत्र।
बृहस्पतिवार को - रेतवी, अनुराधा, अश्विनी, पुनर्वसु और पुष्य ५ नक्षत्र,
शुक्रवार को - रेतवी, अनुराधा, अश्विनी, पुनर्वसु और श्रवण ५ नक्षत्र,
शनिवार को - श्रवण, रोहिणी, स्वाती ३ नक्षत्र पढ़ें तो सर्वार्थसिद्धि योग होता है | इसमें किया गया कार्य सफल होता है ||
विशेष - आनन्दादि योगों में भी रविवार को हस्त नक्षत्र होने से १३ मानस, मूल हो तो १९ सिद्धि, उत्तराफाल्गुनी हो तो १२ मित्र, उत्तराषाढ़ा हो तो २१ अमृत, उत्तराभाद्रपदा हो तो १९ सुस्थिर, पुष्य हो तो ८ श्रीवत्स और अश्विनी हो तो १ आनन्दयोग होता है |
ये सातों योग उत्तम फलदायक होते हैं | एवं प्रत्येक वारों में उत्तम योगों की प्रतीति होती है |
इसलिये ग्रन्थकर्ता ने सब शुभदायक योगों का एकत्रीकरण करके इन्हें सर्वार्थसिद्धिदायक कहा है |
सर्वार्थ सिद्धि योग | Sarvarth Siddhi Yog |
Reviewed by karmkandbyanandpathak
on
6:48 AM
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