कृष्ण और चंद्र को अर्घ्य देने का विधान |

 

कृष्ण और चंद्र को अर्घ्य देने का विधान

कृष्ण और चंद्र को अर्घ्य देने का विधान


क्षीरोदार्णवसंभूत अत्रिगोत्र समुद्भव ||
गृहाणार्ध्यं शशांकेश रोहिणीसहितो मम ||
ज्योत्स्ना पतये नमस्तुभ्यं ज्योतिषां पतये नमः ||
नमस्ते रोहिणीकांत अर्घ्यं नः प्रतिगृह्यताम् ||

जातः कंसवधार्थाय भूभारोत्तारणाय च ||
पांडवानां  हितार्थाय धर्मसंस्था पनाय च ||
कौरवाणां विनाशाय दैत्यानां निधनाय च ||
गृहाणार्ध्यं मया दत्तं देवक्या सहितो हरे  ||

|| अस्तु ||
karmkandbyanandpathak

नमस्ते मेरा नाम आनंद कुमार हर्षद भाई पाठक है । मैंने संस्कृत पाठशाला में अभ्यास कर (B.A-M.A) शास्त्री - आचार्य की पदवी प्राप्त की हुईं है । ।। मेरा परिचय ।। आनंद पाठक (आचार्य) ( साहित्याचार्य ) ब्रह्मरत्न अवार्ड विजेता (2015) B.a-M.a ( शास्त्री - आचार्य ) कर्मकांड भूषण - कर्मकांड विशारद ज्योतिष भूषण - ज्योतिष विशारद

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