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कृष्ण और चंद्र को अर्घ्य देने का विधान |

 

कृष्ण और चंद्र को अर्घ्य देने का विधान

कृष्ण और चंद्र को अर्घ्य देने का विधान


क्षीरोदार्णवसंभूत अत्रिगोत्र समुद्भव ||
गृहाणार्ध्यं शशांकेश रोहिणीसहितो मम ||
ज्योत्स्ना पतये नमस्तुभ्यं ज्योतिषां पतये नमः ||
नमस्ते रोहिणीकांत अर्घ्यं नः प्रतिगृह्यताम् ||

जातः कंसवधार्थाय भूभारोत्तारणाय च ||
पांडवानां  हितार्थाय धर्मसंस्था पनाय च ||
कौरवाणां विनाशाय दैत्यानां निधनाय च ||
गृहाणार्ध्यं मया दत्तं देवक्या सहितो हरे  ||

|| अस्तु ||
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