पञ्चबलि विधि | Panchbali Vidhi |

 

पञ्चबलि विधि

पञ्चबलि विधि



पाँच पत्तोंपर अलग अलग भोजन सामग्री रखकर नीचे लिखे अनुसार
पञ्चबलि करनी चाहिये |

१. गोबलि ( पत्तेपर ) 
 मण्डलके बाहर पश्चिमकी ओर निम्नलिखित मन्त्र पढ़ते हुए
सव्य होकर गोबलि पत्तेपर दे |

सौरभेय्यः सर्वहिताः पवित्राः पुण्यराशयः |
प्रतिगृह्णन्तु मे ग्रासे गावस्त्रैलोक्यमातरः ||

इदं गोभ्यो न मम |
यदि मन्त्र स्मरण न रहे तो केवल "गोभ्यो नमः" आदि नाम मन्त्रसे बलि प्रदान
कर सकते हैं |


२. श्वानबलि ( पत्तेपर ) 
जनेऊको कण्ठीकर निम्नलिखित मन्त्रसे कुत्तोंके बलि दे
द्वौ श्वानौ श्यमशबलौ वैवस्तकुलोद्भवौ |
ताभ्यामन्नं प्रयच्छामि स्यातामेतावहिंसकौ ||

इदं श्वभ्यां न मम |


३. काकबलि ( पृथ्वीपर ) 
 अपसव्य होकर निम्नलिखित मन्त्र पढ़कर कौओंको भूमिपर अन्न दे |

ऐन्द्रवारुणवायव्या याम्या वै नैऋतास्तथा |
वायसाः प्रतिगृह्णन्तु भूमौ पिण्डं मयज्झितम् ||

इदमन्नं वायसेभ्यो न मम |


४. देवादिबलि ( पत्तेपर ) 
 सव्य होकर निम्नलिखित मन्त्र पढ़कर देवता आदिके लिये अन्न दे|

देवा मनुष्याः पशवो वयांसि सिद्धाः सयक्षोरगदैत्यसङ्घाः |
प्रेताः पिशाचास्तरवः समस्ता ये चान्नमिच्छन्ति मया प्रदत्तम् ||

इदमन्नं देवादिभ्यो न  मम |


५. पिपीलिकादिबलि ( पत्तेपर ) 
इसी प्रकार निम्नाङ्कित मन्त्रसे चींटी आदिको
बलि दे |

पिपीलिकाः कीटपतङ्गकाद्या बुभुक्षिताः कर्मनिबन्धबद्धाः |
तेषां हि तृप्त्यर्थमिदं मयान्नं तेभ्यो विसृष्टं सुखिनो भवन्तु ||

इदमन्नं पिपीलिकादिभ्यो न मम |

|| अस्तु ||
karmkandbyanandpathak

नमस्ते मेरा नाम आनंद कुमार हर्षद भाई पाठक है । मैंने संस्कृत पाठशाला में अभ्यास कर (B.A-M.A) शास्त्री - आचार्य की पदवी प्राप्त की हुईं है । ।। मेरा परिचय ।। आनंद पाठक (आचार्य) ( साहित्याचार्य ) ब्रह्मरत्न अवार्ड विजेता (2015) B.a-M.a ( शास्त्री - आचार्य ) कर्मकांड भूषण - कर्मकांड विशारद ज्योतिष भूषण - ज्योतिष विशारद

Post a Comment

Previous Post Next Post