साष्टांग प्रणाम | Sashtang Pranam |

 

साष्टांग प्रणाम


साष्टांग प्रणाम


पद्भ्यां कराभ्यां जानुभ्यामुरसा शिरस्तथा |
मनसा वचसा दृष्टया प्रणामोऽष्टाङ्ग मुच्यते ||

हाथ,
पैर,
घुटने,
छाती,
मस्तक,
मन,
वचन
और
दृष्टि
इन आठ अंगों से किया हुआ प्रणाम अष्टांग नमस्कार कहा जाता है |
साष्टांग आसन में शरीर के आठ अंग ज़मीन का स्पर्श करते हैं
अतः इसे साष्टांग प्रणाम कहते हैं |
इस आसन में ज़मीन का स्पर्श करने वाले अंग
ठोढी,
छाती,
दोनो हाथ,
दोनों घुटने
और
पैर हैं |
आसन के क्रम में इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि पेट
ज़मीन का स्पर्श नहीं करे |
विशेष नमस्कार
मन,
वचन
और
शरीर
से हो सकता है |

|| अस्तु ||
karmkandbyanandpathak

नमस्ते मेरा नाम आनंद कुमार हर्षद भाई पाठक है । मैंने संस्कृत पाठशाला में अभ्यास कर (B.A-M.A) शास्त्री - आचार्य की पदवी प्राप्त की हुईं है । ।। मेरा परिचय ।। आनंद पाठक (आचार्य) ( साहित्याचार्य ) ब्रह्मरत्न अवार्ड विजेता (2015) B.a-M.a ( शास्त्री - आचार्य ) कर्मकांड भूषण - कर्मकांड विशारद ज्योतिष भूषण - ज्योतिष विशारद

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