शिव रचित भगवान् सूर्य के १०८ नाम | Shiv Rachit Bhagavan Surya Ke 108 Naam |

 

शिव कथित भगवान् सूर्य के १०८ नाम

शिव कथित भगवान् सूर्य के १०८ नाम




महादेवजी कहते हैं,
पार्वती हिरण्याके पूर्व भागमें महर्षि च्यवनके द्वारा
 स्थापित परम उत्तम च्यवनादित्यका उत्तम स्थान है |
मनुष्योंद्वारा विधिपूर्वक पूजित होनेपर वे समस्त अभीष्ट फलोंको देनेवाले हैं |
जो मानव सप्तमी तिथिके दिन एक सौ आठ नामों द्वारा श्रद्धापूर्वक उनकी स्तुति करता है, वह मनोवाञ्छित फलको पाता है |

पूर्वकालमें महर्षि घौम्यने महात्मा युधुष्ठिरसे
सूर्यदेवके जिन एक सौ आठ नामोंका वर्णन किया उन्हें सुनो,
सूर्य,
अर्यमा,
भग,
त्वष्टा,
पूषा,
अर्क,
सविता,
रवि,
गभस्तिमान,
अज,
काल,
मृत्यु, धाता,
प्रभाकर,
पृथ्वी,
जल,
तेज,
आकाश,
वायु,
परायण,
सोम,
बृहस्पति,
शुक्र,
बुध,
अङ्गारक,
मङ्गल,
इन्द्र,
विवस्वान्,
दीप्तांशु,
शुचि,
सौर्य,
शनैश्वर,
ब्रह्मा,
रुद्र,
विष्णु,
स्कन्द,
वैश्रवण,
यम,
वैद्युत,
जाठराग्नि,
एन्धन,
तेजःपति,
धर्मध्वज,
वेदकर्ता,
वेदाङ्ग,
वेदवाहन,
कृत,(सतयुग)
त्रेता,
द्वापर,
कलि,
सर्वामराश्रय,
कला,
काष्ठा,
मुहूर्त,
पक्ष,
मास,
अहःनिशा,
संवत्सरकर,
स्वच्छ,
कालचक्र,
विभावसु,
पुरुष,
शाश्वत,
योगी,
व्यक्त,
अव्यक्त,
सनातन,
लोकाध्यक्ष,
प्रजाध्यक्ष,
विश्वकर्मा,
तमोनुद,
वरुण,
सागर,
अंशु,
जीमूत,
जीवन,
अरिहा,
भूताश्रय,
भूतपति,
सर्वभूतनिषेवित,
स्त्रष्टा,
संवर्तक,
वह्नि,
सर्वादिकर,
अमल,
अनन्त,
कपिल,
भानु,
कामद,
सर्वतोमुख,
जय,
विषाद,
वरद,
सर्वधातुनिषेवित,
सम,
सुवर्ण,
भूतादि,
शीघ्रग,
प्राणधारक,
धन्वंतरि,
धूमकेतु,
आदिदेव,
अदितिसुत,
द्वादशात्मा,
अरविंदाक्ष,
पिता,
माता,
पितामह,
स्वर्गद्वार,
प्रजाद्वार,
मोक्षद्वार,
त्रिविष्टप,
देहकर्ता,
प्रसंतात्मा,
विश्वात्मा,
विश्वतोमुख,
चराचरात्मा,
सूक्ष्मात्मा,
मैत्रशरीरान्वित

ये कीर्तन करनेयोग्य अमित तेजस्वी भगवान् सूर्यके एक सौ आठ नाम महात्मा
इन्द्रके द्वारा प्रकाशित हुए हैं |
इन्द्रसे नारदको, नारदसे धौम्यको और धोम्यासे राजा युधिष्ठिरको इनका उपदेश प्राप्त हुआ है |
राजा युधिष्ठिरने इन्हें पाकर सम्पूर्ण मनोरथोंको प्राप्त कर लिया |
जो एकाग्रचित्त होकर सूर्योदय कालमें इस स्तोत्रका पाठ करता है,
वह पुत्र, धन, रत्नराशि, पूर्वजन्मकी स्मृति, स्मरण शक्ति तथा मेघा प्राप्त कर लेता है |
जो देवतओंमे श्रेष्ठ भगवान् सूर्यके इस स्तोत्रका एकाग्रचित्त होकर पाठ करता है,
वह शोक रुपी दावानलसे मुक्त हो मनोवाञ्छित फलोंको प्राप्त कर लेता है |

|| अस्तु || 
Chalo satsang kariye

આચાર્ય શ્રી આનંદકુમાર પાઠક સાહિત્યાચાર્ય-સંસ્કૃતમાં B.a-M.a ૨૫ વર્ષની અવિરત યાત્રા બ્રહ્મરત્ન પુરસ્કાર વિજેતા - ૨૦૧૫ શાસ્ત્રી - આચાર્ય - ભૂષણ - વિશારદ કર્મકાંડ ભૂષણ -કર્મકાંડ વિશારદ જ્યોતિષ ભૂષણ - જ્યોતિષ વિશારદ

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