विष्णु कृत तुलसी स्तोत्र | Vishanukrut Tulsi Stotra |

 

विष्णु कृत तुलसी स्तोत्र

विष्णु कृत तुलसी स्तोत्र



तुलसीं पुष्पसारां च सतीं पूज्यां मनोहराम् |
कृत्स्त्रपापेध्मदाहाय ज्वलदग्निशिखोपमाम् ||

पुष्पेषु तुलनाप्यस्या नासीद् देवेषु वा मुने |
पवित्ररुपा सर्वासु तुलसी सा च कीर्तिता ||

शिरोधार्यां च सर्वेषामीप्सितां विश्वपावनीम् |
जीवन्मुक्तां मुक्तिदां च भजे तां हरिभक्त्तिदाम् ||

परम साध्वी तुलसी पुष्पोंमें सार हैं |
ये पूजनीया तथा मनोहारिणी हैं |
सम्पूर्ण पापरुपी इधनको भस्म करनेके लिये ये प्रज्वलित अग्निकी लपटके समान हैं |
पुष्पोंमें अथवा देवियोंमें किसीसे भी इनका तुलना नहीं हो सकी |
इसीलिये उन सबमें पवित्ररुपा इन देवीको तुलसी कहा गया |
ये सबके द्वारा अपने मस्तकपर धारण करने योग्य हैं |
सभीको इन्हें पानेकी इच्छा रहती है |
विश्वको पवित्र करनेवाली ये देवी जीवन्मुक्त हैं | 

|| विष्णु कृत तुलसी स्तोत्र सम्पूर्णम ||
karmkandbyanandpathak

नमस्ते मेरा नाम आनंद कुमार हर्षद भाई पाठक है । मैंने संस्कृत पाठशाला में अभ्यास कर (B.A-M.A) शास्त्री - आचार्य की पदवी प्राप्त की हुईं है । ।। मेरा परिचय ।। आनंद पाठक (आचार्य) ( साहित्याचार्य ) ब्रह्मरत्न अवार्ड विजेता (2015) B.a-M.a ( शास्त्री - आचार्य ) कर्मकांड भूषण - कर्मकांड विशारद ज्योतिष भूषण - ज्योतिष विशारद

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